
रिपोर्ट के मुताबिक नोएडा के देवेश ने अपने सपनों का महल लोन पर खड़ा करना चाहा उनका कहना है कि जब मैंने घर खरीदा तब मेरी सैलरी ज्यादा नहीं थी. डाउन पेमेंट के लिए भी मेरे पास ज्यादा पैसे नहीं थे तो होम लोन भी ज्यादा लेना पड़ा.
रजिस्ट्रेशन चार्ज और स्टाम्प ड्यूटी के लिए 3 लाख रुपए दोस्त से पैसे उधार लेने पड़े. EMI ने मेरे खर्च को बढ़ा दिया. सेविंग की आदत को छुड़ा दिया. दोस्त के पैसे वापस करने के लिए पर्सनल लोन लेना पड़ा. होम लोन और पर्सनल लोन की EMI देते-देते थक चुका हूं. सोचता हूं घर न खरीदता तो अच्छा था.
ये तो हुई देवेश की बात अगर आप भी लोन पर घर खरीदने की सोच रहे हैं तो ये बातें जरुर ध्यान में रखें. वरना बड़ी फाइनेंशियल क्राइसिस में फंस जाएंगे.
गलती नंबर-1) क्षमता से ज्यादा का होम लोन लेना.
गलती नंबर-2) खर्च बढ़ने से सेविंग करना छोड़ना.
गलती नंबर-3) दोस्त का पैसा देने के लिए एक और कर्ज.
गलती नंबर- 4) 1 लाख की सैलरी पर 30 हजार से ज्यादा EMI.
गलती नंबर-5) कैश फ्लो बरकरार रखना सबसे बड़ी चुनौती.
गलती नंबर-6) मकान खरीदने से पहले डाउन पेमेंट जमा न कर पाना.
पर्याप्त डाउन पेमेंट और सैलरी के अनुपात में खर्चों का आकलन किए बगैर घर लेना आपको देवेश की तरह कर्ज के दलदल में फंसा सकता है… घर लेते समय एक और जरूरी बात का ध्यान रखें कि अपने टर्म इंश्योरेंस में होम लोन की देनदारी को शामिल करें. वरना अनहोनी की सूरत में आपके परिवार को मिलने वाले पैसे का एक बड़ा हिस्सा बैंक के पास चला जाएगा.
ध्यान रहे कि घर खरीदने से पहले ज्यादा से ज्यादा डाउन पेमेंट जोड़ लें… डाउन पेमेंट और दूसरे खर्च के लिए लोन लेने से बचें. हो सके तो गैर-जरूरी खर्चों में कटौती करें… ताकि EMI के हिसाब को बैलेंस किया जा सके.
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