हर निराश मन में आशा का संचार करती है राष्ट्र कवि की रचनाएं : प्रो. उमापति दीक्षित

झांसी। केंद्रीय हिंदी संस्थान आगरा के प्रोफेसर डा. उमापति दीक्षित ने कहा कि राष्ट्र कवि मैथिली शरण गुप्त की रचनाएं हर निराश मन में आशा का संचार करती हैं। उन्होंने श्रीगुप्त की रचना नर हो न निराश करो मन का पाठकर उन्हें श्रद्धा सुमन अर्पित किए। वह बुंदेलखंड विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग और संत कबीर अकादमी लखनऊ के तत्वावधान में कबीर के राम. मैथिली शरण गुप्त के राम विषय पर गांधी सभागार में आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी के उद्घाटन सत्र में जुटे शिक्षकों, विद्यार्थियों और शोधार्थियों को बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रहे थे।

प्रो. दीक्षित ने कहा कि काशी का रहने वाला हूं। वह कबीर और तुलसीदास दोनों को प्रिय रही है। राष्ट्र कवि की रचनाओं ने उनके जीवन को सही दिशा दी। उन्होंने रावण रचित शिव स्तोत्र पेश की।

उन्होंने गोस्वामी तुलसीदास की एक चौपाई का उदाहरण देकर राम की विशेषताओं का उल्लेख किया। मैथिली शरण गुप्त वैष्णव भक्ति में रमे हुए थे। उनकी रचनाओं में यह साफ दिखता है। राम घट घट में व्याप्त हैं। उनके नाम के सुमिरन मात्र से सभी दुखों का अंत होगा। ऐसा अनेक साहित्यकार बता गए हैं। राम के संघर्ष में हर व्यक्ति अपने संघर्ष को देखता है। उनसे ऊर्जा ग्रहण करता है। बुविवि के कुलपति प्रो. मुकेश पाण्डेय ने कहा कि मैथिली शरण गुप्त का साहित्य भावी पीढ़ी के लिए प्रासंगिक रहेगा। राष्ट्र कवि का साहित्य 24 कैरेट गोल्ड की तरह खरा है। साहित्य के माध्यम से ही हम अपने पूर्वजों की सोच, जीवन मूल्य और कार्यशैली के बारे में जानकारी हासिल कर पाते हैं। उन्होंने उम्मीद जताई कि विशेषज्ञों के विचार से विद्यार्थी लाभान्वित होंगे। उन्होंने बताया कि इस वर्ष का राष्ट्र कवि मैथिली शरण गुप्त सम्मान पूर्व केंद्रीय शिक्षा मंत्री डा. रमेश पोखरियाल निशंक को दिया जाएगा। निशंक ने नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के निर्माण में अहम योगदान दिया है। विशिष्ट अतिथि सागर विश्वविद्यालय के प्रो. आनंद प्रकाश त्रिपाठी ने कहा कि राम नाम का आलोक नई पीढ़ी में प्रवाहित होना चाहिए। उन्होंने कहा कि कबीर के राम और मैथिली शरण गुप्त के राम के बीच बड़ा अंतराल है। संगोष्ठी के आयोजक डा. पुनीत बिसारिया ने सभी अतिथियों का गर्मजोशी से स्वागत किया। उन्होंने संगोष्ठी के स्वरूप का भी ब्यौरा पेश किया।

कुलसचिव विनय कुमार सिंह ने कहा कि उनकी विशिष्टताओं को देखते हुए ही उन्हें महात्मा गांधी ने उन्हें राष्ट्र कवि की उपाधि दी। राष्ट्र कवि सगुण राम के उपासक थे जबकि संत कबीर निर्गुण राम के उपासक थे। कार्यक्रम का संचालन डा. अचला पाण्डेय व आभार डा. मुन्ना तिवारी ने व्यक्त किया। इस अवसर पर डा. महेंद्र प्रताप, डा. राहुल देव, डा. रेखा दीक्षित, डा. मुन्ना तिवारी, डा. मुहम्मद नईम, डा. श्रीहरि दीक्षित, डा. नवीन चंद्र पटेल, डा. रामशंकर भारती, प्रो. सौरभ श्रीवास्तव, भगवान सिंह राही, डा. कौशल त्रिपाठी, उमेश शुक्ल आदि मौजूद रहे।

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