21 तोपों की सलामी के साथ गूंजा 'जय कन्हैयालाल की'

उदयपुर। पुष्टिमार्गीय वल्लभ सम्प्रदाय की प्रधानपीठ नाथद्वारा में कान्हा के जन्मोत्सव का पर्व जन्माष्टमी हर्षोल्लास से मनाया गया। शुक्रवार मध्य रात्रि 12 बजे जैसे ही प्रभु के जन्म का बिगुल बजा, वैसे ही तोपें गरज उठीं, 21 तोपों की सलामी के साथ दूर-दूर तक बता दिया गया कि ‘नंद घर आनंद भयो है’। शनिवार को यहां नंद उत्सव की धूम रहेगी।

नाथद्वारा में रात 12 बजे भगवान के जन्म के साथ ही मुख्यद्वार पर नक्कारखाने से ढोल, नगाड़े, बिगुल, शहनाई की मधुर ध्वनि गूंजी और फिर रिसाला चौक में बिगुल के वादन के साथ एक के बाद एक तोपों की सलामी से पूरा शहर गूंज उठा। दो तोपों से 21 गोले दागकर सलामी दी गई। प्रभु जन्म की खुशी में भक्तजनों ने गिरिराज धरण के जयकारों से आसमान गुंजा दिया। इस दृश्य के दर्शन करने देश के विभिन्न स्थानों से बड़ी संख्या में श्रद्धालु यहां पहुंचे।

कोरोनाकाल के चलते वर्ष 2020 एवं 2021 में जन्माष्टमी का त्योहार परपंरागत रूप से सीमित दायरे में मनाया गया। प्रभु श्रीनाथजी के दर्शन में श्रद्धालुओं की आवाजाही नगण्य होने से दो साल में यहां रौनक फीकी रही। इस बार श्रद्धालुओं की खासी भीड़ नाथद्वारा में उमड़ी है।

मंदिर में शनिवार को परम्परानुसार नंद महोत्सव मनाया जाएगा। मंदिर यानि प्रभु श्रीनाथजी की हवेली में ’नंद घर लाला भए हैं... के भाव से उत्सव मनाया जाएगा। ठाकुरजी के भक्तों को भी हल्दीयुक्त दही, छाछ में सराबोर किया जाएगा। मंदिर पीठ के प्रमुख तिलकायत परिवार के प्रतिनिधि भी इस खुशी में ठाकुरजी के सम्मुख मणिकोठे में मुखियाओं के साथ व नंद बावा व यशोदा बने मुखियाओं के संग नृत्य करेंगे। सम्पूर्ण मन्दिर में श्रीनाथजी के बड़े मुखिया नन्द बावा का रूप धरकर दूध-दही का छिड़काव ग्वाल-बालों के साथ करेंगे। श्रीकृष्ण के शिशु स्वरूप को श्रीनाथजी के सम्मुख पलने में झुलाया जाएगा तथा छठी पूजन की परम्परानुसार दरवाजों पर कुमकुम, दूध-दही के छापे लगाए जाएंगे।

इस नंद उत्सव में श्रीनाथजी के बड़े मुखिया नंदबाबा का रूप धरते हैं एवं निधि स्वरूप लाड़ले लालन के बड़े मुखिया यशोदाजी का रूप धरते हैं, जिन्हें तिलकायत परिवार अपने साथ मणिकोठे में नृत्य करने के उपरांत महाप्रभुजी की बैठक में लेकर जाते हैं। वहां तिलकायत व परिवार के सदस्य नंद बावा से आशीर्वाद लेते हैं। तत्पश्चात् नंदबावा का भाव रूप धरने वाले मुखिया के इस रूप को विराम दिया जाता है। फिर मुखिया तिलकायत परिवार के चरण स्पर्श कर आशीर्वाद लेते हैं।

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