फिरदौस के मां बनने की उम्मीद जिंदा !

प्रो. श्याम सुंदर भाटिया, मुरादाबाद। शायद आपको यकीन ही न हो, लेकिन सच यह है- फिरदौस के गर्भाशय मे 40 गांठें थी। यह कोई आम बात नहीं थी। एक साथ इतनी गांठें/रसौलियों का होना बहुत ही रेयर केस था। तीर्थंकर महावीर हॉस्पिटल, मुरादाबाद के डॉक्टर्स की टीम के सामने सबसे पहले यह बड़ी चुनौती थी, कहीं ये गांठें कैंसर की तो नहीं हैं। थैंक्स गॉड, जांच रिपोर्ट में ये नॉर्मल गांठें थीं। अतः डॉक्टर्स ने ऑपरेशन के जरिए इन्हें निकलवाने का सुझाव दिया।

भले ही, डॉक्टरों के कहने पर मुरादाबाद की 28 बरस की इस अनमेरिड युवती के परिजन सहमत हो गए, लेकिन डॉक्टर्स की टीम के लिए यह सर्जरी इतनी आसान नहीं थी। एक तो मरीज में खून की मात्रा मात्र 04 प्वांइट ही थी, इसीलिए ऑपरेशन से पहले फिरदौस को 02 यूनिट रक्त और चढ़ाया गया। दूसरी बड़ी चुनौती पीड़िता के गर्भाशय, अंडाशय और ट्यूबों को बचाना था, जिससे भविष्य में उसकी मां बनने की उम्मीद जिंदा रहे। तीसरी दुश्वारी यह थी कि गांठों में रक्त न पहुंचने से वे घुलने लगी थीं।

फिरदौस को करीब एक माह पहले टीएमयू हॉस्पिटल में भर्ती किया गया था। ऐसे में इतनी बड़ी संख्या में इन गांठों को निकालना डॉक्टर्स के लिए और चैलेंजिंग था। अमूमन गर्भाशय में इतनी गांठें होने से ब्लीडिंग, गर्भाशय खत्म होने, गर्भ न ठहरने और कैंसर होने का ड़र था। मेडिकल शब्दाबली में बिना खून की रसौली को डिजनरेटिंग फाइब्रॉएड कहते हैं। ऐसे रोगी का एनीमिया से पीड़ित होना भी ऑपरेशन के लिए निश्चित ही एक चुनौती थी।

इन सब चुनौतियों को पार पाते हुऐ प्रसूति और स्त्री रोग विभाग की एचओडी डॉ. रेहाना नजम और उनकी टीम-डॉ. आस्था लालवानी, डॉ. शुभ्रा श्रीवास्तव, डॉ. स्वाति जैन आदि ने इस सर्जरी को सफलतापूर्वक अंजाम तक पहुंचाया। लगभग 05 घंटे तक चले इस दुर्लभ ऑपरेशन में सभी गांठों/रसौलियों को निकाल दिया गया है। डॉ. रेहाना ने बताया, फिरदौस का गर्भाशय, अंडाशय और ट्यूबों को सुरक्षित बचा लिया गया है।

उन्होंने उम्मीद जताई, भविष्य में फिरदौस के मां बनने में कोई अड़चन नहीं होगी। दूसरी ओर फिरदौस और उसके परिजनों ने ओबीजी विभाग की एचओडी डॉ. रेहाना नजम और उनकी टीम का तहेदिल से शुक्रिया अदा किया।

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