भोपाल : कभी अभावों के अंधेरे में रहने वाली रीना अहिरवार के जीवन में आजीविका मिशन ने ऐसा उजाला किया कि अब वे एल.ई.डी. वाली दीदी कहलाने लगी हैं।
भोपाल जिले की बैरसिया पंचायत के मजीदगढ़ की रीना अहिरवार पति धूरीलाल बताती हैं कि स्व-सहायता समूह में जुड़ने से पहले उनके पति मजदूरी का काम करते थे। परिवार का पालन-पोषण पति की कमाई पर ही निर्भर था, जो कि माह में 4 हजार से 5 हजार तक ही हो पाती थी। वे कुछ कार्य करने की इच्छा के बावजूद पैसा नहीं होने से कुछ नहीं कर पा रही थीं।
वे माँ दुर्गा आजीविका स्व-सहायता समूह से जुड़ गईं। राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन में एलईडी बल्व का प्रशिक्षण लेकर बल्व बनाने लगीं। समूह द्वारा बैंक से एक लाख रूपये का ऋण लेकर अपना व्यापार शुरू किया गया। रीना ने एलईडी बल्ब बनाकर लगभग 2 लाख रूपये का व्यापार कर लिया है और खुशहाल जिदंगी बिता रही हैं।
अब रीना हर महीने 10 हजार रूपये तक कमाने लगी हैं। इससे कई फायदे एक साथ हुये हैं। एल.ई.डी. बल्ब के उपयोग से एक तरफ लोगों का बिजली का बिल कम हुआ है तो दूसरा घरों में ज्यादा रोशनी होने से बच्चों की पढ़ाई भी बड़े आराम से होने लगी है। एल.ई.डी. बल्ब के उपयोग से बार-बार बल्व खराब होने की समस्या से भी उपभोक्ताओं को छुटकारा मिल गया है।
रीना बताती हैं कि अब वे समाज के सभी वर्गों के साथ मिलने-जुलने लगी हैं। पहले बात करने में भी झिझकती थीं। उन्हें गाँव के सभी नागरिक समूह की एल.ई.डी. वाली दीदी के नाम से बुलाते है। वे बताती हैं, “आज मेरी खुद की एक पहचान ग्राम संगठन के अध्यक्ष एवं एल.ई.डी. बल्ब वाली दीदी के रूप में है।”
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