कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता ने संबित पात्रा से पूछा- आरएसएस के प्रमुख हमेशा चितपावन ब्राह्मण ही क्यों होते हैं?

मेरठ। कांग्रेस पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता अभिमन्यु त्यागी ने आज मेरठ में भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता संबित पात्रा की टिप्पणी का जवाब देते हुए कहा कि…कांग्रेस पार्टी ने देश के लिए कुर्बानी दी है। गांधी परिवार के तीन सदस्यों की शहादत इस देश के लिए हुई है। आर.एस.एस. के प्रमुख हमेशा चितपावन ब्राह्मण ही क्यों होते हैं? वह उत्तर भारत के ब्राह्मणों में कोई मिश्रा, चौबे, दुबे, त्यागी, शर्मा, तिवारी,राय, त्रिपाठी, पांडे आदि क्यों नहीं होते हैं? बीजेपी का रिमोट आर.एस.एस. के पास रहता है और आर.एस.एस. के मुखिया हमेशा चितपावन ब्राह्मण ही क्यों होता है? देश का अन्य कोई जाति का नागरिक क्यों नहीं और अगर ब्राह्मण ही बनाना है तो उत्तर भारत का ब्राह्मण क्यों नहीं?

आज़ादी से पहले जिन्ना की मुस्लिम लीग और और हिंदू महासभा ने बंगाल में जो सरकार बनाई थी उसके प्रधानमंत्री फजलुल हक थे और श्यामा प्रसाद मुखर्जी उसके वित्त मंत्री थे। मुस्लिम लीग का और हिंदू महासभा का आपसी गठबंधन रहा है। हक ने ही भारत के दो टुकड़े कर अलग पाकिस्तान बनाने का प्रस्ताव मुस्लिम लीग की बैठक में पेश किया था। मुखर्जी 1941 में मुस्लिम लीग की अगुआई में बनी संयुक्त सरकार में शामिल हुए। मुस्लिम लीग के लाहौर अधिवेशन (मार्च 1940) में पाकिस्तान प्रस्ताव पारित करते समय, जिन्ना ने अपने दो-राष्ट्र सिद्धांत के पक्ष में सावरकर के उपरोक्त कथन का हवाला दिया था। शुकराने में सावरकर भी पीछे नहीं रहे।

नागपुर में 15 अगस्त, 1943 को एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए, सावरकर ने यहां तक कह दिया, “मुझे जिन्ना के द्विराष्ट्र के सिद्धांत से कोई झगड़ा नहीं है। हम हिंदू लोग अपने आप में एक राष्ट्र हैं और यह एक ऐतिहासिक तथ्य है कि हिंदू और मुसलमान दो राष्ट्र हैं।” आज भी हिंदू- मुसलमान, भारत-पाकिस्तान के मुद्दे पर भाजपा चुनाव लड़ती है। इनके नेता पाकिस्तान जाकर जिन्ना की मजार पर जाकर फूल चढ़ाते हैं तो दूसरी तरफ अखिलेश यादव भी जिन्ना को याद किए बिना आजकल सोते नहीं है। उनके शासन काल मे मुज़फ्फरनगर समेत उत्तर प्रदेश में 600 से ज्यादा दंगे हुए और आज वह जिन्ना को दिन-रात इसलिए याद कर रहे हैं क्योंकि उनके पास भी चुनाव लड़ने के लिए कोई ठोस मुद्दा बचा नहीं है और सिर्फ ध्रुवीकरण ही एक मुद्दा भाजपा और सपा के पास आज बचा है जिसके सहारे वो चुनाव लड़ सकते हैं। पर अब जनता धुर्वीकरण नही होने देगी। जनता अब ध्रुविकरण करने वाली भाजपा और सपा को सबक सिखाएगी।

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