बांदा का किसान कर रहा महसूस : "दगाबाज तेरी बतिया कैसे मानू रे"

विनोद मिश्रा
बांदा।
किसान किसकी- किसकी दगा बाजी सहे। सरकार के कथित दगाबाजी के साथ खेत और पेट के पानी के लिए बांधो नें भी दगा दें दिया है। किसान यह महसूस करने लगा है की "दगाबाज तेरी बतिया कैसे मानू रे" चित्रकूटधाम मंडल में इस वर्ष बारिश ठीक ठाक हुई है, लेकिन बांध लबरेज नहीं हो पाए। नतीजे में नहरों से सींचे जाने वाले इलाकों में सिंचाई का संकट होना तय है। यह अभी से ही नजर आने लगा है।

मानसूनी मौसम खत्म हुए अभी एक माह बीता है और बांधों में पानी का टोटा है। मंडल के दो प्रमुख बांधों रंनगवा और गंगऊ से बांदा जनपद की कई हजार हेक्टेयर खेती सींची जाती है।

लेकिन इन बांधों की स्थिति यह है कि सिंचाई विभाग (केन नहर प्रखंड बांदा) अधिशासी अभियंता नें किसानों से अपील की है कि नहर कमांड क्षेत्र में कम पानी की फसल की बुवाई करें। कहा है कि गंगऊ वीयर और रंनगवां बांध पूरी तहर वर्षा पर निर्भर है। इनमें उपलब्ध पानी से केन मुख्य नहर चालू माह नवंबर में दो हफ्ते चलाई जा चुकी है।

केन मुख्य नहर रबी फसल के लिए पहली जनवरी से 23 जनवरी 2020 तक कुल 13 दिन ही चलाई जा सकेगी।

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