केन-बेतवा गठजोड़ का शिलान्यास, पीएम के लिए कहीं बन न जाए सपना!

विनोद मिश्रा
बांदा।
डेढ़ दशकों की तैयारियों के बाद अगले माह दिसंबर में प्रधानमंत्री के हाथों केन-बेतवा लिंक परियोजना के शिलान्यास की चल रहीं तैयारियां कहीं "मुंगेरी लाल के सपने" न बन जाये। स्थितियां कुछ ऐसा हीं बयां कर रहीं हैं! परियोजना पर फिर खतरा मंडराता दिख रहा है। इसके विरुद्ध सुप्रीम कोर्ट में रिट दायर कर दी गई है। रिट में परियोजना की डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट सहित कई खामियां बताते हुए इसे चुनौती दी गई है। सुप्रीम कोर्ट केन नदी से संबंधित अन्य लंबित याचिकाओं के साथ इस पर भी सुनवाई करेगा।

केन बेतवा नदी गठजोड़ परियोजना वर्ष 2005 में तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में स्वीकृत हुई थी। तब से आज तक इस परियोजना को कई विरोधों और चुनौतियों का सामना करना पड़ा। जल बंटवारे को लेकर यूपी-एमपी में तनातनी रही। कई वर्षों बाद पिछले साल यह निपटा।

उधर, देश के तमाम पर्यावरणविद  इसका विरोध कर रहे हैं। दो राज्यों और केंद्र सरकार के बीच औपचारिकताएं पूरी करने और मतभेदों को खत्म करने में 16 साल बीत गए। अब जबकि यूपी-एमपी के बीच केंद्र की मध्यस्थता में समझौता हो चुका है और अधिकांश औपचारिकताएं पूरी हो गई हैं तब अगले माह दिसंबर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथों इसका शिलान्यास कराने की तैयारियां हैं।

इसी बीच सुप्रीम कोर्ट में रिट दायर की गई है।कोर्ट ने इस याचिका को केन परियोजना से संबंधित दूसरे लंबित मामलों के साथ सुनवाई करने का निर्देश दिया है। रिट में कहा गया है कि डीपीआर तकनीकी रूप से दोषपूर्ण है। यह क्रियान्वयन योग्य नहीं है। 

उधर, अब यह खतरा मंडराने लगा है कि रिट में की गई मांग पर यदि सुप्रीम कोर्ट ने अपनी मुहर लगा दी तो यह परियोजना एक बार फिर खटाई में पड़ जाएगी। अगले माह दिसंबर में प्रधानमंत्री के हाथों इसके शिलान्यास की तैयारियां धरी रह जाएंगी।

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