
मुरादाबाद (प्रो. श्याम सुंदर भाटिया/डॉ. सुशील यादव)। तीर्थंकर महावीर मेडिकल कॉलेज एंड रिसर्च सेंटर के प्रोफेसर्स ने ब्रिटिश मेडिकल रिसर्च जर्नल में ऊंची छलांग लगाई है। मेडिकल कॉलेज के आधा दर्जन प्लस प्रोफेसर्स का कोविशील्ड वैक्सीन के इम्पैक्ट पर रिसर्च पेपर ब्रिटिश रिसर्च जर्नल में प्रमुखता से प्रकाशित हुआ है। रिसर्च स्टडी के लिए तीर्थंकर महावीर मेडिकल कॉलेज में फर्स्ट वैक्सीनेशन के लिए आए हुए लोगों में से 215 लोगों को उनकी सहमति से सेलेक्ट किया गया। इस स्टडी में कोविशील्ड वैक्सीनेटेड लोग ही शामिल थे। इसकी भी दो श्रेणियां थीं, फर्स्ट वैक्सीनेटेड और सेकेंड वैक्सीनेटेड। एंटीबॉडी की मात्रा के लिए इन लोगों के ब्लड सैंपल लिए गए। वैक्सीनेटेड इन लोगों में एंटीबॉडी बनने की रफ्तार कैसी रही? सच्चाई जानने के लिए इन लोगों से तमाम सवाल भी हुए। जैसे- वैक्सीनेशन के बाद क्या-क्या तकलीफें रही हैं? इन लोगों में पहले से ही कोई बीमारी तो नहीं थी? यदि बीमारियां थीं तो कौन-कौन सी थीं? कौन-कौन सी मेडिसिन ले रहे थे या अब भी ले रहे हैं? शारीरिक रिएक्शन क्या रहा है? वैक्सीनेशन के बाद कितनी इम्युनिटी बनी है? इम्युनिटी बनने की रफ्तार क्या रही?
इस रिसर्च का टॉपिक आईजीजी एंटीबॉडी सीरोप्रिविलेंस पोस्ट कोविशील्ड वैक्सीनेशन इन वैस्टर्न उत्तर प्रदेशः ए हॉस्पिटल बेस्ड स्टडी है। यह रिसर्च पेपर जेपीआरआई- जर्नल ऑफ फर्मास्युटिकल रिसर्च इंटरनेशनल में प्रमुखता से छपा है। उल्लेखनीय है, जेपीआरआई पूर्व में ब्रिटिश जर्नल ऑफ फर्मास्युटिकल रिसर्च के नाम से जाना जाता था।टीएमयू मेडिकल कॉलेज के डिपार्टमेंट ऑॅफ बायो-केमिस्ट्रिी की एचओडी प्रो. डॉ. संगीता कपूर, डॉ. सुशील यादव, डॉ. हिमानी मुनियाल, डॉ. अनूप कुमार, स्टाटिस्टिशन डॉ. उम्मे अफीफा मेडिसिन विभाग के एचओडी प्रो. डॉ. वीके सिंह, कम्युनिटी मेडिसिन विभाग के एचओडी प्रो. डॉ. एसके गुप्ता रिसर्च पेपर तैयार करने वालों में शुमार हैं। इस सर्वे में वैक्सीनेशन के लिए आए 215 लोगों के नमूने लिए गए। इनमें से सिंगल वैक्सीन लगवाने वालों में 145 में एंटीबॉडी निगेटिव पाए गए जबकि 70 लोगों में 32.6 प्रतिशत एंटीबॉडी बनी। दूसरे श्रेणी के 101 लोगों में से 39 लोगों में 38.6 फीसदी एंटीबॉडी बनी। शोधकर्ताओं ने लक्षणों के तौर पर लोगों से यह भी पूछा, क्या उन्हें ब्लड प्रेशर, शुगर या कैंसर सरीखी बीमारियां तो नहीं हैं? क्या उन्होंने सप्लीमेंट लिए है या नहीं? लिए हैं तो कौन-कौन से हैं? फर्स्ट और सेकेंड के कुल 101 लोगों से मुकम्मल तौर पर हैल्थ हिस्ट्री ली गई।
शोधकर्ताओं की टीम ने इन लोगों से यह भी पूछा, क्या फर्स्ट वैक्सीनेशन या सेकेंड वैक्सीनेशन के बाद उन्हें बुखार या एलर्जी या सिरदर्द या चक्कर या भूख बंद होना जैसी शिकायतें रही हैं? उल्लेखनीय है, नशीले पदार्थ का सेवन करने वालों में एंडीबॉडी बनने की प्रक्रिया बहुत स्लो है। हांलाकि सामान्य लोगों में प्रतिरोधात्मक क्षमता-एंटीबॉडी जल्द बन रही है। इस रिसर्च में पुरूषों और महिलाओं की औसत आयु 22 से 55 बरस है। शोध का सार यह निकला फर्स्ट वैक्सीनेशन और सेकेंड वैक्सीनेशन के बीच चार सप्ताह का समय अपर्याप्त है। फिर दोनों वैक्सीनेशन के बीच आखिर कितने दिनों को गैप होना चाहिए, इसके लिए यह टीम आगे की स्टडी में जुटी है। तीर्थंकर महावीर मेडिकल कॉलेज एंड रिसर्च सेंटर के डॉक्टरों की इस शानदार कामयाबी पर यूनिवर्सिटी के कुलाधिपति श्री सुरेश जैन, ग्रुप वाइस चेयरमैन श्री मनीष जैन, एमजीबी श्री अक्षत जैन, वीसी प्रो. रघुवीर सिंह, निदेशक प्रशासन श्री अभिषेक कपूर, मेडिकल कॉलेज की प्राचार्या प्रो. श्यामोली दत्ता ने ब्रिटिश के रिसर्च जर्नल में आर्टिकल के प्रकाशन को बड़ी उपलब्धि बताते हुए कहा, मेडिकल शोधार्थियों के लिए यह स्टडी मील का पत्थर साबित होगी।
टीएमयू के कुलाधिपति श्री जैन बोले, कोविड-19 महामारी को लेकर तीर्थंकर महावीर मेडिकल कॉलेज हमेशा संजीदा रहा है। कोरोना वारियर्स और मेडिकल स्टाफ के बूते टीएमयू कोविड हॉस्पिटल यूपी के सरकारी और गैर सरकारी चिकित्सालयों में अव्वल आया है। टीएमयू कोविड हॉस्पिटल में सेवा, समर्पण और संकल्प के चलते सर्वाधिक मरीज ठीक होकर डिस्चार्ज हुए हैं। टीएमयू हॉस्पिटल के आला प्रबंधन की इस गंभीरता से प्रदेश के यशस्वी मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ गदगद हैं। श्री योगी ने ऑनलाइन प्रोग्राम के दौरान तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी के आला प्रबंधन को साधुवाद देते हुए कहा था, तीर्थंकर महावीर मेडिकल कॉलेज एंड रिसर्च सेंटर फर्स्ट डे से यूपी सरकार के संग कदम से कदम मिलाकर चल रहा है। कुलाधिपति कहते हैं, डब्ल्यूएचओ से लेकर केन्द्र और यूपी सरकारों की समय-समय पर दी गई कोविड गाइडलाइन्स का सौ फीसदी क्रियान्वयन किया है।
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