नेत्र ईश्वर का अनमोल उपहार, इनसे कीजिएगा बेपनाह मुहब्बत

प्रो. श्याम सुंदर भाटिया, मुरादाबाद। तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी के कॉलेज ऑफ नर्सिंग की वाइस प्रिंसिपल डॉ. एम. जैसलीन ने बतौर मुख्य अतिथि कहा, भारत में लगभग एक करोड़ लोग नेत्र दुर्बलता या अंधत्व से पीड़ित हैं। तकनीकी प्रगति ने लोगों को मोबाइल, लैपटॉप, टीवी का आदी बना दिया है। छोटे-छोटे बच्चे भी मोबाइल का प्रयोग कार्टून देखते हैं। गेम खेलते हैं। यह सच है, कोविड-19 के दौरान संपूर्ण विश्व लगभग ऑनलाइन हो गया। यह मंजर नेत्रों के लिए एक बड़ी चुनौती है। ऐसे में समझदारी इसी में है, मोबाइल तथा अन्य दूसरे दृश्य साधनों का उपयोग बहुत जरूरी होने पर ही करें। कार्टून देखना, गेम खेलना और अनावश्यक गतिविधियों की आदत हमें नहीं होनी चाहिए।

डॉ. जैसलीन तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी के कॉलेज ऑफ पैरामेडिकल के नेत्र चिकित्सा विभाग की ओर विश्व दृष्टि दिवस पर बोल रहीं थीं। इससे पूर्व कार्यक्रम का शुभारम्भ मुख्य अतिथि ने मां सरस्वती के समक्ष दीप प्रज्जवलित करके किया। इस मौके पर स्टुडेंट्स ने लव योर आईज थीम पर रैली निकालकर ऑखों की सुरक्षा के बारे में जागरूक किया। पोस्टर और मॉडल प्रतियोगिताएं भी हुई, जिसमें छात्र-छात्राओं ने बढ़चढ़ कर प्रतिभाग किया। पोस्टर प्रतियोगिता में नितिन पाल और सुरेन्द्र ने प्रथम स्थान प्राप्त किया। मॉडल प्रतियोगिता में जय जैन, दीपक, प्रियान्शी, शायवी और मानसी प्रथम स्थान पर रहे। प्रश्नोत्तरी में अंशिका, सोफिया, फौजिया और लाइवा ने बाजी मारी। एक लघु नाटिका के जरिए स्टुडेंट्स ने लोगों का नेत्रदान और उसके महत्व को समझाया। इस मौके पर लेंसकार्ट से आए प्रतिनिधिमंडल ने टीएमयू के सात छात्रों का प्रशिक्षण के लिए चयन किया।

विश्व दृष्टि दिवस पर आयोजित गेस्ट लेक्चर में कॉलेज ऑफ पैरामेडिकल के वाइस प्रिंसिपल डॉ. नवनीत कुमार ने मुख्य अतिथि का स्वागत करते हुए कहा, ऑनलाइन के चलन ने लोगों के बीच दूरिया बढ़ा दी हैं। अब एक ही परिवार के लोग एक-दूसरे से बात नहीं करते हैं। ट्रेन, बस आदि में भी लोग पहले की तरह परस्पर संवाद नहीं करते हैं, केवल अपने मोबाइल में ही आंखें गढ़ाए रहते हैं। गेस्ट लेक्चर में एचओडी श्री राकेश कुमार, फैकल्टी श्री पिनाकी अदक, श्री सतेन्द्र सचान, श्री शौविक चट्टोपाध्याय, श्रीमती शिखा शर्मा, श्रीमती जूही यादव, श्री शमित पाल आदि की गरिमामयी मौजूदगी रही। संचालन रिषभ चौधरी और सहबा नकवी ने किया।

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