20 साल से कर रही थी जेल में बंद पति की रिहाई का इंतज़ार, जेल में पति की मौत के बाद शव छोड़कर जाने लगी वृद्धा

हल्द्वानी। पुलिस के कंधों पर समाज की बड़ी जिम्मेदारी होती है। लेकिन कई बार कुछ स्वार्थी पुलिसकर्मियों की वजह से लोगों के सामने पुलिस की अच्छी छबि पर दाग लग जाता है।लेकिन वास्तव में जब पुलिस अपने कर्तव्य का निर्वाचन ईमानदारी से करे तो ख़ाकी की शान में चार चांद लग जाते हैं। रविवार को पुलिस का मानवीय चेहरा फिर सामने आया।दरअसल आर्थिक तंगी से जूझ रही 70 साल की वृद्धा मोर्चरी में ही पति का शव छोड़कर जाने लगी। यह देख सितारगंज जेल में तैनात दो पुलिस कर्मियों का दिल पसीज गया। उन्होंने अपने खर्च से न केवल कफन खरीदा, बल्कि एंबुलेंस का इंतजाम कर शव को पीलीभीत भेज दिया,जिसके बाद बृद्धा पुलिसकर्मियों को दुआए देती हुई अपने पति का शव ले गयी।

बता दें कि सितारगंज की सेंट्रल जेल में हत्या के दोषी पीलीभीत निवासी 65 साल के बुजुर्ग रामलाल की शनिवार को एसटीएच में मौत हो गई थी। हालांकि बताया जा रहा है कि वह पिछले डेढ़ साल से बीमार था। शव को पोस्टमार्टम के लिए सितारंगज जेल में तैनात कांस्टेबल दिनेश सिंह सम्मल व विजय कुमार आर्य ने मोर्चरी पहुंचाया था। रविवार को पोस्टमार्टम के बाद शव मोर्चरी के बाहर लाया गया। जहां रामलाल की 70 वर्षीय पत्नी जेकला देवी पति की मौत की ख़बर पाकर पहुंची थीं।

पुलिस कर्मियों ने शव उन्हें सौंपा तो पति का चेहरा देख उसने शव ले जाने से मना कर दिया। उसका तर्क था कि पति की लाश ले जाने के लिए उसके पास पैसे नहीं हैं। वह एक कफन तक नहीं खरीद सकती। उसकी आर्थिक स्थिति बहुत खराब हो चुकी है। एकमात्र बेटा भी नशे की लत से बर्बाद है। ऐसे में दोनों पुलिस कर्मियों ने मदद को हाथ बढ़ाया। उन्होंने कफन खरीदने के साथ ही एक निजी एंबुलेंस बुक कर वृद्धा के पति की लाश को पीलीभीत भिजवा दिया।

20 साल से कर रही थी पति की रिहाई के इंतज़ार

जेकला देवी ने बताया कि 20 वर्ष पूर्व उसके पति को हत्या के मामले में फंसाया गया था।वह 20 सालों से एक- एक पल अपने पति की रिहाई का इंतज़ार कर रही थी।लेकिन उसे क्या मालूम था कि एक दिन उसे उसका पति मृत अवस्था मे मिलेगा जब उसके पास पति को घर ले जाने तक के पैसे नही होंगे।

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