जरा पाक परस्तों का नंगा नाच तो देखो

आर.के. सिन्हा

भारत-पाकिस्तान के बीच टी-20 ओवर वर्ल्ड कप के पहले मैच के दौरान जिस तरह से कश्मीर और पंजाब  में पाकिस्तान परस्तों ने खुलकर भारत विरोधी नारेबाजी, आतिशबाजी करके जश्न मनाया उसे सारे देश ने देखा। इसे कहते हैं, एहसान फरामोशी। ये जिस देश में रहते हैं या जहां का खाते हैं, उस देश के साथ ही गद्दारी करते हैं। इनकी आत्मा यह सब करने की इजाजत कैसे देती है। क्या यही इनके मजहब में सिखाया जाता है कि जिस थाली में खाओ उसी में छेद करते हरो ! यह देशद्रोह का सीधा मामला है।

पाकिस्तान की भारत पर जीत पर श्रीनगर के एसकेआईएमएस मेडिकल कॉलेज के छात्रों और गवर्मेंट मेडिकल कॉलेज की छात्राओं के जश्न मनाने के आरोप में यूएपीए की धाराओं के तहत केस तो दर्ज कर लिया गया है। यूएपीए  की धाराओं में अगर किसी की गिरफ्तारी होती है तो उसे बेल मिलना तो मुश्किल हो ही जाता है। इस कानून का मुख्य मकसद आतंकी गतिविधियों को रोकना है। इस कानून के तहत पुलिस ऐसे आतंकियों, अपराधियों या अन्य लोगों को पकड़ती है, जो आतंकी गतिविधियों में शामिल होते हैं। इन दोनों कॉलेजों के स्टूडेंट्स पर टी-20 वर्ल्ड कप के दौरान पाकिस्तान के समर्थन में नारेबाजी करने का मामला है। यह मात्र आरोप नहीं है। इन विद्यार्थियों  को सारे देश ने पाकिस्तान के हक में नारेबाजी करते देखा है। इनके नारेबाजी करने वाले  वीडियो भी पूरे विश्व में वायरल हो चुके हैं।

पंजाब के दो निजी शिक्षण संस्थानों में पढ़ने वाले कश्मीर के  छात्रों ने भी मैच के दौरान पाकिस्तान के हक में नारेबाजी की थी। एक घटना संगरूर शहर के बाहरी इलाके में स्थित भाई गुरदास इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी में हुई, जबकि दूसरी मोहाली जिले में हुई। इन छात्रों की इन्हीं कॉलेजों में पढ़ने वाले उत्तर प्रदेश और बिहार के छात्रों ने कसकर पीटा भी । हालांकि इन्हें कश्मीरी छात्रों की हरकतों की जानकारी पुलिस को दे देनी चाहिए थी। लेकिन, कोई भी राष्ट्र भक्त भारत के खिलाफ खुलकर नारेबाजी को कैसे सहन करेगा? राजस्थान में भी एक स्कूल की टीचर ने पाकिस्तान की जीत पर अपने फेसबुक स्टेट्स पर लिखा हम जीत गए। जब उसकी कड़ी प्रतिक्रिया हुई तो उसने माफी मांगी। पर तब तक बहुत देर हो चुकी थी। उसे तो नौकरी से निकाला जा चुका था। अब यही अच्छा रहेगा कि वह पाकिस्तान जाये और वहां अपनी मन मुताविक नौकरी ढूँढ लें I

जरा गौर करें कि भारत में अब भी कितने आस्तीन के सांप सक्रिय हैं। इन  पाकिस्तान परस्तों को जानते ही होंगे पाकिस्तान के गृह मंत्री शेख राशिद। तब ही तो उन्होंने कहा कि पाकिस्तान की भारत पर जीत से भारत के मुसलमान खुश होंगे। हालांकि बड़बोले शेख राशिद ने भारत के सभी करोड़ो मुसलमानों की भारत के प्रति निष्ठा पर सवाल खड़े करके  अपनी घटिया मानसिकता को ही दर्शाया। वे नहीं जानते कि भारत का औसत मुसलमान राष्ट्रवादी ही है। हां, कश्मीरी मुसलमानों को इस कैटेगरी में शामिल नहीं किया जा सकता है। इन्हें पिछले 70 सालों में भारत  सरकार ने सब कुछ दिया पर ये लगभग पाकिस्तान के हक में ही खड़े रहे।  ये भारतीय फौजियों पर पत्थर फेंकते रहे और वे बेचारे सरकारी आदेश के अभाव में चुप चाप सहते रहे। पाकिस्तान की जीत पर हमारे यहां आतिशबाजियां हों और जश्न मनाया जाए इस पर पूर्व क्रिकेटर गौतम गंभीर और वीरेंद्र सहवाग का भड़कना स्वाभाविक ही है। इन्होंने  ट्विटर पर ऐसा करने वालों को जमकर लताड़ा। भाजपा सांसद गंभीर ने टूक  कहा, पाकिस्तान की जीत पर जो आतिशबाजी कर रहे हैं वो भारतीय नही हो सकते। हम अपने खिलाड़ियों के साथ खड़े हैं। इसके बाद भारतीय टीम के पूर्व सलामी बल्लेबाज वीरेंद्र सहवाग ने भी ट्वीट कर सवाल पूछा कि जब पटाखे प्रतिबंधित हो गए हैं तो अचानक ये कहां से आ गए। उन्होंने आगे लिखा, देश के कई हिस्सों में पाकिस्तान की जीत का जश्न मनाने के लिए पटाखे फोड़े गए। अच्छा वे क्रिकेट की जीत का जश्न मना रहे होंगे, तो फिर दिवाली पर पटाखे फोड़ने पर क्या हर्ज है। यह पाखंड क्यों, सारा ज्ञान उन्हें तब ही याद आता है।

देखिए वैसे तो किसी भी खेल का हिस्सा है जीत और हार। इसलिए भारतीय टीम के हारने से कोई आफत नहीं आ गई है। हमारी टीम की क्षमताओं पर किसी को कोई शक नहीं है। मसला यह है कि क्या मुंबई में आतंकी हमले करवाने वाले देश की टीम की जीत पर आतिशबाजी की जाए? क्या जो भारत में घुसपैठ करवा कर आतंक मचाता है उस देश को गले लगाया जाए? अब उन सब पर यूएपीए  की धाराओं  के अंतर्गत केस चलेगा जो पाकिस्तान के जीतने पर जश्न मना रहे थे। अब देश देखेगा कि कौन से सेक्युलरवाजी और लिबरल एक्टिविस्ट इन देश के दुश्मनों के हक में बयानबाजी करते हैं। उन्हें किसी भी सूरत में माफ नहीं किया जा सकता। इन्हें मेडिकल कॉलेज से तत्काल निकाला जाना चाहिए। तब इन्हें होश आएगा। इन्हें पाकिस्तान से इतना ही प्यार है तो इन्हें वहीं भेजो या फिर उस जन्म की सैर करवाओ जहाँ सत्तर हूरें इनके इंतजार में वैठी हैं I

उम्मीद के मुताबिक, महबूबा मुफ्ती का पाकिस्तान प्रेम सिरकर बोलने लगा है। वह उन कश्मीरी स्टूडेंटस के साथ आ गई है जो पड़ोसी मुल्क का साथ दे रहे थे। यकीन मानिए कि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान और कुख्यात खुफिया एजेंसी आईएसआई महबूबा मुफ्ती से बहुत प्रभावित होंगे क्योंकि  उनका  पाकिस्तान प्रेम जगजाहिर है। इन्हें भी पाकिस्तान के ही हवाले कर देना सही रहेगा I

इस बीच, अब भारत को देश के अंदर पल रहे अपने शत्रुओं को ठीक ढंग से कसना होगा। हाल के कुछ वर्षों में यह देखने में आ रहा है कि कुछ भारतीय नागरिक ही देश की जड़ों को कमजोर कर रहे हैं। आपको याद  होगा कि कुछ समय पहले  पुणे में सेना भर्ती परीक्षा का पर्चा लीक करने के आरोप में सेना के एक  मेजर को पुलिस हिरासत में भेज दिया गया है। इस मामले में एक और मेजर की भी गिरफ्तारी हुई है। इन पर आरोप है कि ये सेना की परीक्षा के पर्चे लीक करके पैसे बटोर रहे थे। साफ है कि ये चंद सिक्कों के लिए देश के साथ  गद्दारी कर रहे थे। सेना के किसी भी अधिकारी का शत्रु को अहम जानकारी देना या सेना में भ्रष्टाचार फैलाने वाले शख्स को माफ नहीं किया जा सकता है। इस तरह के शख्स की सिर्फ एक ही सजा हो सकती है। वो है सजा-ए-मौत। इससे कम का तो कोई सवाल ही नहीं पैदा होता है। 

(लेखक वरिष्ठ संपादक, स्तभकार और पूर्व सांसद हैं।)

Post a Comment

0 Comments