क्या हम पानी के बिना भी कृषि की कल्पना कर सकते हैं?

नोएडा। “पानी कृषि के लिये आवश्यक तत्व है । जिस प्रकार , पानी की कमी भयंकर रूप से बढ़ रही है क्या हम पानी के बिना भी कृषि की कल्पना कर सकते हैं? लेकिन, यदि हम एक साथ, एक ही भूमि पर पाँच फसलें एक साथ उगायें, तो पाँच फसलों का कुल खाद, कीटनाशक, ग्रोथ प्रमोटर का इनपुट एक फसल के इनपुट से भी कम होता है। पानी तो 30% से भी कम लगता है।” ये बातें जैविक कृषि वैज्ञानिक सागर, मध्य प्रदेश निवासी आकाश चौरसिया ने मल्टी लेयर फ़ार्मिंग के प्रशिक्षण कार्यक्रम के पाँचवें दिन कही।

महिला और बाल विकास मंत्रालय की विशेष सचिव एवं निदेशक श्रीमती रश्मि सिंह, आई॰ए॰एस॰ ने कहा कि “कृषि ही देश में महिलाओं की आजीविका का प्रमुख साधन है। छोटी सी जगह में ऐसा पैदावार करना जिससे पूरे साल किसानों को ख़ासकर महिलाओं को कुछ न कुछ पूरे साल आर्थिक लाभ होता रहे, यह अत्यंत ही सुखद परिकल्पना है।”

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उत्तर प्रदेश के अवकाश प्राप्त प्रमुख चीफ़ कोनज़र्वेटर ओफ़ फ़ारेस्ट श्री आर॰के॰ सिंह जी जैव विविधता की चर्चा करते हुये कहा कि “प्रकृति तो अपना श्रिंगार स्वयं तय करती है। यह यदि समझ लेंगे तो जैव विविधता को समझ लेंगे। जैव विविधता से ही सही ढंग की की प्राकृतिक कृषि सम्भव है।”

कार्यक्रम में ग्रामीण विकास मंत्रालय के राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के राष्ट्रीय प्रबंधक राजीत सिन्हा ने भी अपने विचार व्यक्त किये।

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