टीएमयू में इंग्लिश लैंग्वेज टीचिंग पर हुई दो दिनी नेशनल कॉन्फ्रेंस

मुरादाबाद। तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी के फैकल्टी ऑफ इंजीनियरिंग एंड कम्प्यूटिंग साइंसेज-एफओईसीएस में दो दिनी इंग्लिश लैंग्वेज टीचिंग-द इश्यूज एंड चेलेंजेज इन इंडियन पर्स्पेक्टिव-अंग्रेजी भाषा शिक्षणः भारतीय परिप्रेक्ष्य में मुद्दे और चुनौतियां पर एफओईसीएस के अँग्रेजी विभाग और इंग्लिश लैग्वेज टीचिंग एसोसिएशन ऑफ इंडिया-ईएलटीएआई के संयुक्त तत्वावधान में ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों मोड में आयोजित नेशनल कॉन्फ्रेंस के दूसरे और अंतिम दिन इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय, नई दिल्ली के मानविकी स्कूल के अंग्रेजी विभाग के प्रो. प्रमोद कुमार मुख्य वक्ता के रूप में ऑनलाइन मौजूद रहे। टेक्निकल सेशन चेयर के रूप में एफओईसीएस, टीएमयू, मुरादाबाद के अँग्रेजी विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. संदीप वर्मा और एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. जरीन फारूक ने सत्र की अध्यक्षता की। इस दौरान सवाल-जवाब का दौर भी चला।

प्रो. प्रमोद कुमार ने अंग्रेजी सीखने के महत्व पर जोर देते हुए कहा, आजादी के समय यह विवाद था, अंग्रेजी को राजभाषा का महत्व दिया जाए या नहीं। समय के साथ, यह महसूस किया गया, अंग्रेजी को आधिकारिक भाषा के रूप में स्वीकार करना अत्यंत महत्वपूर्ण है क्योंकि यह एक संपर्क भाषा है, एक वैश्विक भाषा है, जो दुनिया भर के लोगों को बांधती है। ईएलटी शिक्षकों को कक्षा में ऐसी पेडागॉजी-शिक्षण पद्धति का उपयोग करना चाहिए, जो छात्रों की जरूरतों को पूरा कर सके। दशकों से इस्तेमाल की जा रही विधियों को बदलने की जरूरत है क्योंकि समकालीन समय में वे तरीके उपयुक्त नहीं हैं।

एफओईसीएस के निदेशक एवं प्राचार्य प्रो. राकेश कुमार द्विवेदी ने वैलेडेक्टरी सेशन को संबोधित करते हुए कहा, भाषा और संस्कृति मानव जीवन के बड़े आयाम हैं। स्वतंत्रता के बाद से भारत के प्रमुख कार्य अंग्रेजी भाषा से संबंधित रहे हैं। विज्ञान और प्रौद्योगिकी की सभी पुस्तकें, पत्रिकाएँ, शोध पत्र आदि अंग्रेजी भाषा में हैं। भारत में मानव संसाधन के रूप में एक बड़ा कार्यबल है, लेकिन उनकी क्षमता और प्रतिभा को अंग्रेजी भाषा ने दबा दिया है। हमारे पास ज्ञान और प्रतिभा की कमी नहीं है।

नेशनल कॉन्फ्रेंस के दूसरे दिन के तकनीकी सत्र में उत्तर प्रदेश, नई दिल्ली और महाराष्ट्र के कुल नौ शोधार्थियों ने अपने शोधपत्र पढ़े। वंशिका दीक्षित और श्रीमती नेहा आनंद ने अंग्रेजी भाषा शिक्षण और सीखने की द्विभाषी पद्धति नई शिक्षा नीति 2020 के संदर्भ में एक अध्ययन, मिस इंदु त्रिपाठी ने अंग्रेजी भाषा सिखाने की द्विभाषी पद्धति, सृष्टि मित्तल ने अंग्रेजी भाषा और सांस्कृतिक अनुकूलन, अलीजा परवीन ने डिजिटल युग में अंग्रेजी भाषा शिक्षण, सोनल जैन ने ऑनलाइन बनाम ऑफलाइन लर्निंग, अनन्या पांडे ने डिजिटल युग में अंग्रेजी भाषा शिक्षण, प्रफुलित वशिष्ठ ने वर्तमान परिदृश्य में अंग्रेजी भाषा का रुझान, अभिषेक शर्मा ने सहकारी जगत में अंग्रेजी भाषा का महत्व और देवांश नंदन शर्मा ने सहयोग की दुनिया में अंग्रेजी विषय पर अपने शोधपत्र पढ़े। इस अवसर पर मुख्य रूप से प्रो. आरके जैन, प्रो. आरसी त्रिपाठी, प्रो. केए गुप्ता, प्रो. एसआर अली, प्रो. एसपी पाण्डेय, डॉ. पंकज कुमार गोस्वामी, डॉ. पराग अग्रवाल, डॉ. अमित कुमार शर्मा, श्री रूपल गुप्ता, श्री हरजिंदर सिंह आदि मौजूद रहे।

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