उत्तराखंड में भारी बारिश, बादल फटने और बाढ़ से तबाही, अब तक 22 की मौत, सैकड़ों सैलानी फंसे

नैनीताल। उत्तराखंड में बारिश से भारी तबाही, भारी बारिश के चलते अबतक 22 की मौत, बह गईं सड़कें और सैकड़ों सैलानी फंसे, बादल फटने और अचानक बाढ़ से तबाही, प्राकृतिक आपदा में अब तक 22 की मौत, उत्तराखंड सरकार ने मौतों की पुष्टि की।

उत्तराखंड में लगातार बारिश के बाद बाढ़ के हालात । भारी बारिश से नैनीताल झील का पानी माल रोड फोन नैना देवी मंदिर में घुसा ।नैनीताल में झील का पानी ठंडी सड़क तक आ गया है। भीमताल में भी घरों में मलवा पानी भरा हुआ है। रास्ते बंद है पर्यटक होटलों में फंसे हुए है। रामनगर में गर्जिया देवी मंदिर के चारों तरफ पानी ही पानी । लगातार बारिश के बाद उत्तराखंड के कई इलाके बाढ़ की चपेट में है ऐसे में जागरण उजाला अपने पाठकों से अपील करता है अगर उत्तराखंड नैनीताल वगैरह जा रहा है तो अपनी यात्रा कुछ दिनों के लिए टाल दे, बारिश की वजह स्तिथि बहुत खराब है।

गोला नदी में उफान से गोला पुल टूट गया है, जिससे काठगोदाम जाने वाला बाईपास प्रभावित हुआ है। गोला बैराज समेत अन्य स्थानों को भी नदी द्वारा नुकसान होने की संभावना जताई जा रही है। फिलहाल प्रशासन पुलिस अपनी निगाह बनाए हुए हैं और पूरी तरह से अलर्ट के मोड पर है, मौसम विभाग ने उत्तराखंड को पूरी तरह से रेड अलर्ट घोषित किया हुआ है, जिसके बाद से लगातार मूसलाधार बारिश हो रही है और हर जगह जलभराव की स्थिति बन गई है। उत्तराखण्ड को जल प्रलय से दो-चार होना पड़ रहा है।

लेमन ट्री रिसॉर्ट से सुरक्षित बचाए गए 200 लोग, भारी बारिश के कहर से अब तक सूबे में 25 लोगों की मौत

उत्तराखंड के अलग-अलग इलाकों में मूसलाधार बारिश के कारण कई लोगों की मौत हो गई है. राज्य में राहत और बचाव कार्य लगातार जारी हैं. सूबे के DGP अशोक कुमार ने बताया है कि रामनगर-रानीखेत रूट पर स्थित लेमन ट्री में करीब 200 लोग फंसे थे, जिन्हें सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया है।

इस बीच कालागढ़ रामगंगा बांध मंडल के अधीक्षण अभियंता ने मुरादाबाद रामपुर बिजनौर अमरोहा बरेली शाहजहांपुर फर्रुखाबाद के जिलाधिकारियों को प्रेरित पत्र में कहां है कि 19 अक्टूबर को सुबह 8:00 बजे काला गढ़ बांध का जलसा 362. 80 मीटर हो गया है और जलाशय का अधिकतम जलस्तर 365. 300 है । जलाशय के केचमेंट एरिया में भारी वर्षा हो रही है पानी का प्रभाव भी काफी अधिक आ रहा है ऐसे में अपने जनपदों में रामगंगा नदी से प्रभावित क्षेत्रों में बचाव की व्यवस्था करें।

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