जिला पंचायत अध्यक्ष सुनील की “बहार” कहीं बनें न “पतझड़”

बांदा। जिला पंचायत अध्यक्ष पद पर सुनील पटेल की ताजपोशीहो चुकी है।उनकी जीत की खुशी की “गुदगुदी ” परवान पर है, ठीक है होनी भी चाहिऐ। भाग्य एवं समीकरणो का सामंजस्य और सदर विधायक प्रकाश की पार्टी जनों के साथ कामयाब रणनीति ही ऐसी थी की जीत सुनिश्चित थी। लेकिन जीत की यह बहार भविष्य में पतझड़ न बन जाये,इसके प्रति सजगता बहुत जरूरी है। क्योकि छह माह बाद विधानसभा के चुनाव है।

इसलिए विकास का “खिलाड़ी” बनना होगा “अनाड़ी” नहीं!जिसका फायदा जिले की विधान सभा सीटों पर भाजपा के वोट बैंक को और मजबूत करने मिले। क्योकि विकास के प्रति सावधानी हटी,तो समझिए जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी पर “गाज” गिरी! जिला पंचायत के हालिया वर्षो के इतिहास के पन्ने इसी के गवाह हैं!

निवर्तमान जिला पंचायत सदस्य सरिता दिवेदी नें अपने कार्यकाल में क्षेत्र में विकास की जो सरिता बहाई वह पंचायतीराज व्यवस्था में जिले में रिकार्ड की एक मिसाल बनी।नव निर्वाचित अध्यक्ष सुनील पटेल से भी यह उम्मीद हैं की अपने स्वागत समारोहों में जो वह विकास की बात करते हैं,वह धरातल पर दिखाई भी देनी चाहिऐ। राजनीति की लंबी पारी खेलने का यहीं मूल मंत्र भी है। कहावत भी है की अग्र चेती सदा सुखी। क्योकि पार्टी कार्यकर्ताओ में सुगबुगाहट उठनेलगी है की अध्यक्ष सुनील पटेल को अभी से यह बीमारी संक्रमित करने लगी है की उनका मोबाइल फोन पर न तो जल्दी काल रिसीव होती है और न ही उनका वाट्सअप चलता है। कार्यकर्ताओ की सुनने और उनकी समस्याओं का निराकरण एवं संतुष्ट करने का जबकि यह मोबाइल मूल आधार है।

विनोद मिश्रा

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