जब बेटे को लिपट-लिपटकर रोती रही शबनम, बोली- मैं बुरी मां हूं, मुझे कभी याद मत करना

अमरोहा। आजादी के बाद देश में पहली बार किसी महिला को उसके अपराध के लिए फांसी की सजा दी जाएगी।  फांसी के लिए मथुरा की जेल में तैयारियां भी शुरू हो गई हैं।  अमरोहा की रहने वाली 'शबनम' को मौत की सजा दी जाएगी।

जेल में पैदा हुए शबनम के बेटे की बुलंदशहर का एक दंपती परवरिश कर रहा है। लड़का कक्षा 6 में एक स्कूल में पढ़ रहा है। 

दैनिक जागरण में छपी खबर के मुताबिक, कुछ दिन पहले ही दंपती उसे रामपुर जेल में बंद शबनम से मिलवाने ले गया था। जब मां ने बेटे को देखा तो फफक कर रोने लगी और काफी देर तक शबनम बेटे से लिपटकर रोती रही। शबनम बेटे से बार-बार कह रही थी कि पढ़-लिखकर अच्छा इंसान बनना। मैं बुरी मां हूं, मुझे कभी याद मत करना।

ये है पूरा मामला
यूपी के अमरोहा हसनपुर क्षेत्र के गांव बावनखंड़ी में शिक्षामित्र शबनम ने 14/15 अप्रैल 2008 की रात को प्रेमी सलीम के साथ मिलकर अपने पिता मास्टर शौकत, मां हाशमी, भाई अनीस और राशिद, भाभी अंजुम और फुफेरी बहन राबिया का कुल्हाड़ी से वार कर कत्ल कर दिया था। भतीजे अर्श का गला घोंट दिया था। इस मामले अमरोहा कोट में दो साल तीन महीने तक सुनवाई चली।

आखिरकार 15 जुलाई 2010 को जिला जज एसएए हुसैनी ने शबनम और सलीम को तब तक फांसी के फंदे पर लटकाया जाए तब तक उनका दम न निकल जाए का फैसला सुनाया। फैसले को दस साल हो गए। लेकिन फांसी के फंदे को दोनों की गर्दन का इंतजार है।

घटना के बाद लोगों में दहशत हो गई। बीते दस साल के बाद भी क्षेत्र में लड़कियों के नाम शबनम नहीं रखते है। सब को लगता है जो अपने के साथ ऐसा कर सकती है ऐसे नाम लेने रखने में कोई फायदा नहीं है।

क्षेत्र के आसिफ अली ने बताया कि घटना के बाद रिश्तों का कत्ल करने वाली शबनम को ऐसे सजा मिली जो आगे ऐसा कोई सोच भी ना सके। आसपास के गांव में इस वजह से लड़कियों के नाम शबनम रखने से कतरा रहे है।
 

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