लॉकडाउन में नौकरी जाने से परेशान लोग आत्महत्या कर रहे लेकिन मीडिया सिर्फ सुशांत की मौत पर आंसू बहा...

गिरीश मालवीय 
शिवसेना नेता संजय राउत ने बिलकुल ठीक कहा है कि सुशांत सिंह राजपूत की खुदकशी ने उत्सव का रूप ले लिया है. संजय राउत का कहना है कि देश में सुशांत की मौत के अलावा और भी कुछ हो रहा है. कोरोना का कहर अभी भी जारी है, चीनी हमले में 20 जवान शहीद हो गए हैं, फिर भी सुशांत की खुदकुशी की खबर महीनेभर से जगह पा रही है.

पुणे में रहने वाले राजेंश शिंदे नामक व्यक्ति ने लॉकडाउन में नौकरी जाने से अपनी पत्नी और दो बच्चियों के साथ मिलकर आत्महत्या कर ली. उस आत्महत्या की फाइल बंद हो गई है और सुशांत की खुदकुशी का उत्सव मनाया जा रहा है.

आज ही खबर है कानपुर के बड़े हॉस्पिटल मालिक ने आत्महत्या कर ली है हमारे इंदौर में भी स्थानीय अखबार रोज छाप रहे है कि लॉक डाउन से उपजी आर्थिक परिस्थितियों से उपजे तनाव के बाद आत्महत्या हो रही है यही स्थिति देश के हर छोटे बड़े कस्बे गाँव और शहर की है लेकिन महीने भर से मीडिया एक बस सुशांत सिंह की आत्महत्या को ही आत्महत्या माने बैठा है.
(ये लेखक के निजी विचार हैं, UPUKLiveकी सहमति आवश्यक नहीं)

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