आखिर क्यों होती है Sunday की छुट्टी, कौन है इसके पीछे...

आपने बचपन से देखा होगा की सप्ताह में रविवार की हमेशा छुट्टी रहती है। ऑफिस में काम करने वाले लोगों और स्कूल जाने वाले बच्चो को हमेशा रविवार का इंतजार रहता है लेकिन आज हम आपको बताएंगे कि भारत में रविवार को छुट्टी की शुरुआत कब से हुई ? कौन है इसके पीछे....
इसके पीछे का इतिहास जानना बहुत जरूरी है। कई लोगों की कठिन लड़ाई और संघर्ष के बाद ही ऐसा संभव हो पाया है। रविवार के दिन लोग अपने घरों में बैठकर आराम फरमाते हैं। इसका पूरा श्रेय नारायण मेघाजी लोखंडे को जाता है। आइए आपको बताते हैं इसके पीछे की कहानी। उस समय भारत पर ब्रिटिश शासकों का शासन था। लोगों को बहुत परेशान किया जाता था। उस समय किसी भी मजदूर को कोई छुट्टी नहीं मिलती थी। सप्ताह के सातों दिन सबको काम करना पड़ता था।
उस समय नारायण मेघाजी लोखंडे श्रमिकों के नेता थे। श्रमिकों की हालत को देखते हुए उन्होंने ब्रिटिश सरकार को इस बारे में सूचित किया। इसके साथ ही हफ्ते में एक दिन छुट्टी देने की बात कही।लेकिन ब्रिटिश सरकार ने उनके इस निवेदन को सिरे से खारिज कर दिया था।
लोखंडे जी को यह बिल्कुल पसंद नहीं आई थी। उन्होंने सभी श्रमिकों को अपने साथ लिया और इसका जमकर विरोध किया था। उन्होंने सरकार की इस सख्ती के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद की थी। उन्होंने जमकर विरोध प्रदर्शन भी किया गया था। उन्होंने मजदूरों को उनका हक दिलवाने के लिए काफी कुछ किया। उनकी पुरजोर कोशिशों के बाद एक दिन की छुट्टी मिलने का प्रावधान पास हुआ।
ब्रिटिश सरकार ने 10 जून साल 1890 को आदेश जारी किया कि सप्ताह में एक दिन सबकी छुट्टी होगी। इसके बाद रविवार को छुट्टी करने का फैसला हुआ था। इसके साथ ही हर रोज दोपहर के वक्त आधे घंटे का आराम भी दिया गया जिसे हम आज लंच ब्रेक कहते हैं। 

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