महिला खतना मुस्लिम देशों की एक खतरनाक और दर्दनाक सच्चाई या हम इसे कुप्रथा भी कह सकते है. इंडोनेशिया दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा मुल्क है जहां खतना प्रचलित है. वहीं से कुछ भयावह सच्चाइयां भी। दुनिया में हर साल करीब 20 करोड़ बच्चियों या लड़कियों का खतना होता है. इनमें से आधे से ज्यादा सिर्फ तीन देशों में हैं, मिस्र, इथियोपिया और इंडोनेशिया की बच्चियां होती है।
यूनिसेफ के आंकड़े यह कहते हैं कि जिन 20 करोड़ लड़कियों का खतना होता है उनमें से करीब साढ़े चार करोड़ बच्चियां 14 साल से कम उम्र की होती हैं और वे इन तीन देशों से आती हैं – गांबिया, मॉरितानिया और इंडोनेशिया. इंडोनेशिया की आधी से ज्यादा बच्चियों का खतना अब तक हो चूका है। खतना कराने की वजह मानी जाती है परंपरा। और उसके बाद धर्म, फिर साफ-सफाई और बीमारी से बचने आदि के नाम पर भी लड़कियों का खतना किया जाता है. लेकिन कुछ लोग का कहना यह भी है कि युवा होने पर लड़कियों की सेक्स की इच्छा कम करने के मकसद से भी ऐसा किया जाता है.
लेकिन इंडोनेशिया की यारसी यूनिवर्सिटी की डॉ. आर्था बदुी सुशीला दुआरसा कहती हैं कि महिला खतने का कोई फायदा नहीं है. बल्कि इसके उलट इसके बहुत नुकसान हैं जिनमें मौत भी एक है. महिला खतने से कई तरह की मानसिक और शारीरिक दिक्कतें हो सकती हैं. विश्व स्वास्थ्य संगठन कहता है कि कुछ मामलों में तो मौत तक हो सकती है. खतने के दौरान या उसके बाद अत्याधिक खून बहने से या बैक्टीरियल इन्फेक्शन से मौत हो सकती है. खतने के भी कई प्रकार है। संयुक्त राष्ट्र की संस्था विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक महिला खतना चार तरह का हो सकता है. पूरी क्लिटोरिस को काट देना, कुछ हिस्से काटना, योनी की सिलाई और छेदना या बींधना.
जबकि महिला कार्यकर्ता मानती हैं कि महिलाओं का खतना एक तरह की यौन हिंसा है जिसमें पीड़ित को मानसिक और शारीरिक दोनों तरह के तनाव से गुजरना पड़ता है. कई संस्थाएं इसे महिलाओं के खिलाफ हिंसा में जोड़ चुकी हैं.
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