देश की राजधानी दिल्ली एक बहुत प्राचीन शहर है, जिसका इतिहास महाभारत जितना पुराना माना जाता है। दिल्ली को बहुत पहले इंद्रप्रस्थ के नाम से जाना जाता था। बाद में इंद्रप्रस्थ के निकट नए शहर जहांपनाह, तुगलकाबाद, लाल कोट, किला राय पिथौरा, दीनपनाह, शाहजहांनाबाद और फिरोजाबाद बस गए। अगर बात की जाए ऐतिहासिक तौर पर तो दिल्ली में हिंदू राजपूत राजा अनंगपाल तोमर का राज हुआ करता था।
अनंगपाल ने गुड़गांव (जिसे अब गुरुग्राम के नाम से जानते हैं) में अरावली की पर्वतों पर सूरजकुंड के पास अपनी राजधानी अनंगपुर बसाई। बाद में अनंगपाल ने उस जगह को छोड़कर कुतुब के समीप लाल कोट किला बनाया। लाल कोट एक लाल रंग का किला था। ये दिल्ली क्षेत्र का प्रथम नगर था, जिसे दिल्ली का पहला लालकिला भी कहा जाता है।
दिल्ली के पहले नगर का निर्माण अनंगपाल तोमर ने करवाया था। जो कि आज भी कुतुबमीनार के निकट मौजूद है, जिसके दक्षिणी हिस्से को लालकोट और उत्तरी हिस्से को राय पिथौरा का किला कहा जाता है। जानकारी के अनुसार, अनंगपाल ने 1060 ई में लालकोट का निर्माण करवाया था। उस दौरान लालकोट को बढ़ाया गया और दूसरा किला राय पिथौरा बनाया गया।
राय पिथौरा का निर्माण 12वीं शताब्दी में दिल्ली शहर की मुस्लिम हमलों से रक्षा के लिए किया गया था। अगर आप जाएंगे तो महरौली से प्रेस एन्कलेव तक राय पिथौरा किले के अवषेष आज भी देख सकते हैं। वर्तमान में राय पिथौरा किले में सिर्फ 2 से 6 मीटर चौड़ी दीवार के अवशेष बचे हैं। ये किला लाल कोट को 3 तरफ से घेरता है।
वर्तमान में लालकोट किले की दीवारें, दुर्ग और प्रवेश द्वार खत्म हो चुके हैं सिर्फ खंडहर के रूप में मौजूद हैं। राजस्थान के अजमेर के राजा विग्रहराज ने वर्ष 1150 में तोमरों को हराकर राज्य पर अपना राज कायम कर लिया। चौहानों ने क्षेत्र में लाल कोट का विस्तार किया और अनेक मंदिरों का निर्माण किया। पृथ्वीराज ने लाल कोट को मजबूत किया और किले राय पिथौरा का निर्माण कराया। पृथ्वीराज को हर जगह जीत हासिल करने के कारण दिग्विजयी कहा जाने लगा। पृथ्वीराज के नाना अनंगपाल ने उन्हें दिल्ली का राज भी सौंप दिया था।
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