यहां पूजा के लिए मर्दों को भी बनना पड़ता है औरत, करते हैं सोलह सिंगार

भारत एक विशाल देश है यह अनेक प्रकार के रीति-रिवाज़ है। भारत में एक सबसे बड़ा समुदाय हिंदुओं का है और हिंदू धर्म में पूजापाठ करके भगवान को खुश करना एक बड़ी धार्मिक बात है। हिंदू मान्यताओं के अनुसार मंदिरों में पूजा-अर्चना करने के अलग-अलग नियम कायदे होते हैं। देश में कई मंदिरों में जहां महिलाओं का प्रवेश वर्जित है तो वहीं पुरुषों को भी महिलाओं का रूप धारण करके ही जाना होता है।
# यहाँ महिलाओं का रूप धारण करने का मतलब सिर्फ कपड़े बदलना ही नहीं है, बल्कि उन्हें महिलाओं की तरह सोलह श्रृंगार भी करना पड़ता है। ऐसा ही एक मंदिर है केरल कोल्लम जिले के कोट्टनकुलंगरा में जहां श्रीदेवी मंदिर में देवी मां की पूजा की परम्परा वर्षों से चली आ रही है। इस मंदिर में पूजा करने से पहले पुरुषों को भी महिलाओं की तरह सोलह श्रृंगार करना आवश्यक होता है।
# कोट्टनकुलंगरा श्रीदेवी मंदिर में हर साल 23 और 24 मार्च को चाम्याविलक्कू उत्सव मनाया जाता है। इस अनूठे उत्सव में पुरुष भी महिलाओं की तरह साड़ी पहनकर सजते-संवरते हैं। इसके बाद पुरुष अच्छी नौकरी, सेहत और अपने परिवार की खुशहाली की प्रार्थना करते हैं। इस मंदिर में देवी मां की मूर्ति खुद प्रकट हुई है। यह इस राज्य का ऐसा एकमात्र मंदिर है जिसके गर्भगृह के ऊपर छत या कलश नहीं है।

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