जब भी किसी अपराधी को फांसी की सजा दी जाती है तो उसे हमेशा सूर्योदय होने से पहले ही फांसी पर लटकाया जाता है. शायद आपके दिमाग में भी कभी तो ये सवाल आया ही होगा कि आख़िरकार सूर्योदय से पहले ही किसी को भी फांसी पर क्यों लटकाया जाता है? तो चलिए आज हम आपको इस बारे में बताते है कि सूर्योदय के पहले ही क्यों फांसी देने का समय चुना गया है.
ये बात तो सभी को पता है कि सूर्योदय के साथ ही एक नए दिन की शुरुआत होती है. जैसे कि लोग दिन की शुरुआत होने के साथ नए काम में लग जाते है ऐसे ही जेल में भी नए दिन से लोग अपना नया काम-काज शुरू कर देते है. इसलिए फांसी की सजा का प्रावधान सूर्योदय से पहले तय किया गया है. जब भी किसी अपराधी को फांसी दी जाती है तब अपराधी से उसकी आखिरी ख्वाइश पूछी जाती है. लेकिन अपराधी की ख्वाइश तब ही पूरी होती है जब उसकी ख्वाइश जेल मैन्युअल के तहत हो.
जब भी किसी अपराधी को फांसी दी जाती है तो उसे 10 मिनट तक फांसी पर ही लटके रहने दिया जाता है. इसके बाद ये देखा जाता है कि वो आदमी मर गया है या जिन्दा है. जब वो मर जाता है उसके बाद ही उसे नीचे उतारा जाता है.
जब भी किसी अपराधी को फांसी दी जाती है तो उसे 10 मिनट तक फांसी पर ही लटके रहने दिया जाता है. इसके बाद ये देखा जाता है कि वो आदमी मर गया है या जिन्दा है. जब वो मर जाता है उसके बाद ही उसे नीचे उतारा जाता है.
0 Comments