US में पढ़ी IAS अधिकारी की बेटी वैष्णवी सिन्हा खेती करके पाल रही हैं गाय

लखनऊ। UP की राजधानी लखनऊ की वैष्णवी सिन्हा वैसे तो प्रोफेशनली गोल्फ प्लेयर हैं। IAS की बेटी हैं। 5 साल से ज्यादा टाइम वो शिकागो में रहीं, वहीं प्रोफेशनल तौर पर गोल्फ खेला लेकिन इंडिया लौटने के बाद वो खेती कर रही हैं।

वैष्णवी 28 साल की हैं और कहती हैं कि मेरा जन्म 6 दिसंबर 1990 को लखनऊ में हुआ। मेरे पिता आलोक सिन्हा IAS ऑफिसर हैं, मां प्रीति हाउस वाइफ। हम 2 बहन हैं। छोटी बहन शाम्भवी का खुद का स्टार्टअप है। पिता जॉब में हैं, इसलिए कभी भी पढ़ाई या किसी अन्य में कोई फाइनेंसियल प्रॉब्लम नहीं आई। बचपन काफी अच्छे से बीता था।

उन्होंने आगे बताया कि मैं शुरू से पढ़ने में काफी अच्छी थी। डीपीएस नोएडा से 2008 में 12th किया। फिर आगे की पढ़ाई के लिए शिकागों के परड्यू यूनिवर्सिटी चली गई। 5 साल तक वहां पढ़ाई की, साथ में गोल्फ की प्रैक्टिस भी करती रही।

2013 में ग्रैजुएशन करने के बाद 2 साल तक प्रोफेशनली गोल्फ खेला। 2015 में मैं शिकागो से इंड‍िया वापस आ गई। नोएडा में एक साल तक छोटी बहन के साथ मिलकर ई कामर्स के फिल्ड में काम किया।

वैष्णवी का कहना कि उनका मन बंद कमरे में बैठकर काम करने में नहीं लगा। वे कहती हैं मुझे इसकी आदत नहीं थी। मैंने उस काम को छोड़ कुछ अलग करने का सोचा।  एक दिन मैं फैमिली के साथ टेबल पर बैठकर खाना खा रही थी, तभी पापा ने मुझे लीक से हटकर कुछ अलग काम करने की एडवाइस दी।

उन्होंने कहा- नोएडा में 40 एकड़ से ज्यादा की हमारी जमीन है। इस जमीन का यूज करो, उस पर अपना टाइम लगाओ। खुद से इन्फ्रास्ट्रक्चर तैयार करो और काम शुरू करो।

पापा को देसी गाय बहुत पंसद थी। उन्होंने गाय खरीदकर बिजनेस करने को कहा। मुझे उनकी एडवाइस पसंद आई। 2017 में मैंने 10 गायें खरीदी। अब हमारे पास 21 गायें हैं। वो अब रोज 50 से 60 लीटर दूध देती हैं।  इस बीच मैंने जीरो बजट ऑरग्रेनिक फार्मिंग के बारे में सुना और उसपर काम करना शुरू किया। आज गाय के गोबर से खाद बनाकर उसी से जीरो बजट प्राकृतिक खेती करती हूं। साथ में सब्जी भी उगाती हूं।

2018 में 120 गायों करने का लक्ष्य है। साथ ही 1.4 करोड़ रुपए टर्न ओवर का भी टारगेट फिक्स किया है। वैष्णवी बताती है, मैं अभी खेती और गाय पालन का काम रही हूं। मैं आर्गेनिक फार्मिंग की फिल्ड में आगे भी काम करना चाहती हूं। मेरे काम से पैरेंट्स तो खुश हैं, लेकिन मेरे नाना-नानी नराज रहते हैं। नाखुश है। वे दोनों चाहते थे कि मैं पढ़-लिखकर कोई अच्छी जॉब करूं। उन्हें मेरा खेती करना और गाय पालन का काम पसंद नहीं।

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