
इन गांवों में मासिक धर्म होने पर किशोरियों और महिलाओं को जानवरों के गोठ में रखा जा रहा है। उनको कम से कम चार रातें गौशाला में गुजारनी पड़ती हैं।
ऐसा नहीं है कि मल्ला दानुपर दुनिया से कटा हुआ है। यहं के लोग देश के कोने-कोने में हैं और बहुत से लोग तो विदेश में भी हैं। लेकिन ग्राम्य समाज आज भी रूढ़िवादी परंपरा से बाहर नहीं निकल सका है।
उच्च हिमालय से लगा होने के कारण इस क्षेत्र में आठ माह तक कड़ाके की ठंड पड़ती है। ऐसे में महिलाओं को मासिक धर्म के दौरान सीमित गर्म कपड़ों में जानवरों के गोठ (गौशाला) में पुआल के बिछौने पर सर्द रातें गुजारनी पड़ती हैं। कई घरों में तो महिलाएं दिन के समय घर में प्रवेश कर सकती हैं लेकिन कुछ घर ऐसे भी हैं जहां चार दिनों तक प्रवेश नहीं करने दिया जाता।
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