ये बैंक FD नहीं बल्कि सेविंग अकाउंट पर दे रहा तगड़ा ब्याज

रिजर्व बैंक के रेपो रेट बढ़ाने के बाद अब बैंक FD और सेविंग्स अकाउंट में मिलने वाले ब्याज में बढ़ोतरी कर रहे हैं। प्राइवेट सेक्टर के RBL बैंक ने सेविंग्स अकाउंट पर ब्याज दरें बढ़ाने का ऐलान किया है। ब्याज दरों में बदलाव के बाद अब इस बैंक के अकाउंट होल्डर्स को अधिकतम 6.25% के हिसाब से ब्याज मिलेगा।

बैंक की वेबसाइट के मुताबिक, ये नई दरें 5 सितंबर 2022 यानी कि आज से लागू हो गई हैं। आपको बता दें कि देश का सबसे बड़ा बैंक SBI इस समय FD पर अधिकतम 5.50% ब्याज दे रहा है। ऐसे में RBL बैंक सेविंग्स अकाउंट पर FD से ज्यादा ब्याज ऑफर कर रहा हूं।

सेविंग्स अकाउंट पर मिलेगा कितना ब्याज

RBL बैंक के सेविंग्स खाते में 1 लाख रुपए तक जमा राशि पर 4.25%, 1 लाख से 10 लाख रुपए की जमा राशि पर 5.50% ब्याज मिलेगा। 10 लाख से ज्यादा से 25 लाख रुपए जमा राशि पर 6% ब्याज और 25 लाख से ज्यादा से 1 करोड़ रुपए की जमा राशि पर 6.25% ब्याज मिलेगा। बता दें कि पहले ये दर 6% थी लेकिन रिजर्व बैंक की ओर से ब्याज दर बढ़ने के बाद इसमें 25 बेसिस प्वाइंट का इजाफा कर दिया है।

कब जमा किया जाएगा ब्याज

RBL बैंक के मुताबिक, बैंक खाते में हर दिन के बैलेंस के हिसाब से ब्याज जोड़ेगा और तिमाही आधार पर खाते में सेविंग्स अकाउंट का ब्याज जमा किया जाएगा। हर साल ब्याज का पैसा 30 जून, 30 सितंबर, 31 दिसंबर और 31 मार्च को जमा किया जाएगा।

दूसरे बैंकों में सेविंग्स अकाउंट पर कितना ब्याज?

बैंक

ब्याज दर (%)-

बंधन बैंक 3.00-6.25

इंडसइंड बैंक 3.50-5.50

यस बैंक 4.00-5.50

IDFC फर्स्ट बैंक 3.50-6.00

पोस्ट ऑफिस 4.00

ICICI बैंक 3.00-3.50

HDFC बैंक 3.00-3.50

पंजाब नेशनल बैंक 2.70-2.75

बैंक ऑफ इंडिया 2.90

SBI 2.70

सेविंग्स अकाउंट पर मिलने वाले ब्याज पर भी देना होता है टैक्स

इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 80TTA के तहत बैंक/को-ऑपरेटिव सोसायटी/पोस्ट ऑफिस के सेविंग्स अकाउंट के मामले में ब्याज से सालाना 10 हजार रुपए तक की आय टैक्स फ्री है। इसका लाभ 60 साल से कम उम्र के व्यक्ति या HUF (संयुक्त हिन्दू परिवार) को मिलता है। वहीं सीनियर सिटीजन के लिए ये छूट 50 हजार रुपए है। इससे ज्यादा आय होने पर TDS काटा जाता है।

अगर आपकी कुल आय टैक्स के दायरे में न आती हो तो क्या करें?

अगर आपके सेविंग अकाउंट, FD या RD से सालाना ब्याज आय 10 हजार से अधिक है, लेकिन कुल सालाना आय (ब्याज आय मिलाकर) उस सीमा तक नहीं है, जहां उस पर टैक्स लगे तो बैंक TDS नहीं काटता। इसके लिए सीनियर सिटीजन को बैंक में फॉर्म 15H और अन्य लोगों को फॉर्म 15G जमा करना होता है। फॉर्म 15G या फॉर्म 15H खुद से की गई घोषणा वाला फॉर्म है। इसमें आप यह बताते हैं कि आपकी आय टैक्स की सीमा से बाहर है। जो इस फॉर्म को भरता है, उसे टैक्स की सीमा से बाहर रखा जाता है।

क्या होता है टीडीएस?

अगर किसी की कोई आय होती है तो उस आय से टैक्स काटकर व्यक्ति को बाकी रकम दे दी जाती है। टैक्स के रूप में काटी गई इस रकम को ही टीडीएस कहते हैं। सरकार टीडीएस के जरिए टैक्स जुटाती है।

यह अलग-अलग तरह के आय स्रोतों पर काटा जाता है जैसे सैलरी, किसी निवेश पर मिले ब्याज या कमीशन आदि पर। कोई भी संस्थान (जो टीडीएस के दायरे में आता है) जो भुगतान कर रहा है, वह एक निश्चित रकम टीडीएस के रूप में काटता है।

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