श्रीकृष्ण जन्मभूमि मामले को लेकर अदालत में हुई तीन वादों पर सुनवाई, अगली सुनवाई 21 जुलाई को

श्रीकृष्ण जन्मभूमि मामले को लेकर अदालत में हुई तीन वादों पर सुनवाई, अगली सुनवाई 21 जुलाई को


शाही मस्जिद ईदगाह कमेटी ने आपत्ति दाखिल करते हुए कहा कि पहले कोर्ट यह तय करे कि दोनों वाद चलने लायक हैं या नहीं

मथुरा, 18 जुलाई (हि.स.)। श्रीकृष्ण जन्मभूमि मामले में सोमवार को सिविल जज सीनियर डिवीजन की अदालत में अधिवक्ता महेंद्र प्रताप, राजेंद्र माहेश्वरी के वाद पर सुनवाई के साथ ही नारायणी सेना अध्यक्ष मनीष यादव के वाद पर सुनवाई हुई। 7/11 पर अदालत में करीब आधा घंटे तक दोनों पक्षों में बहस हुई। दोनों पक्षों की दलील सुनने के बाद न्यायालय ने फैसला रिजर्व रखते हुए अगली सुनवाई की तारीख 21 जुलाई दी। संभावना जताई जा रही है कि इस मामले को लेकर कोर्ट 21 जुलाई को फैसला सुना सकती है।

वहीं अदालत में नया प्रार्थना पत्र देते हुए शाही मस्जिद ईदगाह कमेटी ने आपत्ति जताते हुए कहा कि पहले तो दोनों वादों में ये तय हो कि ये वाद चलने लायक हैं या नहीं। इसके बाद ही दूसरे प्रार्थना पत्रों पर सुनवाई की जाए। न्यायालय ने निर्णय सुरक्षित किया और अगली सुनवाई के लिए 21 जुलाई की तिथि तय की है।

गौरतलब हो कि अधिवक्ता महेंद्र प्रताप सिंह व राजेंद्र माहेश्वरी की ओर से दायर वाद में याची ने प्रार्थना पत्र दायर कर वीडियोग्राफी सर्वे, आर्केलाजिकल सर्वे कराने के साथ ही वरिष्ठ अधिवक्ता को कमिश्नर नियुक्त करने की मांग की थी। जिसकी सुनवाई सोमवार को सिविल जज सीनियर डिवीजन की अदालत में हुई। अदालत में दोनों पक्षों को सुनने के बाद 21 जुलाई सुनवाई के लिए निर्धारित की है।

पक्षकार महेंद्र प्रताप सिंह ने बताया कि सुनवाई के दौरान शाही ईदगाह पक्ष चाहता था कि 7(11) के तहत उसका निस्तारण हो लेकिन अपर कोर्ट के द्वारा एक आदेश पारित कर दिया गया है जो वादी पक्ष के प्रार्थना पत्र हैं उसका निस्तारण होना आवश्यक है। उन्हीं विषय को न्यायालय ने सुना गया और न्यायालय से कहा कि वहां की स्थिति स्पष्ट होनी आवश्यक है। महेंद्र प्रताप सिंह ने बताया कि कोर्ट ने ऑर्डर रिर्जव कर लिया है 21 जुलाई को यह ऑर्डर आएगा की पहले हमारी एप्लिकेशन सुनी जाएगी या उनके 7 (11) की एप्लिकेशन सुनी जाएगी।

शाही ईदगाह के इंतजामिया कमेटी के सचिव और अधिवक्ता तनवीर अहमद ने बताया कि वादी पक्ष मुकदमे को टालने के लिए नए नए एप्लिकेशन डालते रहते हैं। 7 रूल 11 के तहत यह तय होना है ये चलने लायक है या नहीं।

सोमवार को शाही मस्जिद ईदगाह कमेटी ने न्यायालय में एक प्रार्थना पत्र दाखिल कर आपत्ति जताई। कमेटी ने सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालय के कई निर्णय भी न्यायालय में प्रस्तुत किए, जिसमें ये कहा गया है कि इस पर पहले बहस होनी चाहिए कि ये वाद चलने लायक है या नहीं। कमेटी ने कहा कि वादी पक्ष ने अप्रैल से अब तक न्यायालय में पांच प्रार्थना पत्र दिए। इन प्रार्थना पत्रों पर सुनवाई के बजाय पहले सुनवाई इस पर की जाए कि केस चलने लायक है या नहीं। न्यायालय ने इस मामले में निर्णय सुरक्षित रखा। याची महेंद्र प्रताप सिंह व शाही मस्जिद ईदगाह कमेटी के सचिव तनवीर अहमद ने बताया कि 21 जुलाई को न्यायालय ये तय करेगी कि पहले सुनवाई किस बिंदु पर होगी।

वहीं सिविल जज सीनियर डिवीजन की अदालत में नारायणी सेना के अध्यक्ष मनीष यादव के वाद पर भी सोमवार को सुनवाई हुई। शाही मस्जिद ईदगाह कमेटी ने न्यायालय में आपत्ति दाखिल की। उन्होंने कहा कि पहले वाद से जुड़े दस्तावेज हमें सौंपे जाएं। इसके बाद न्यायालय पहले इस पर निर्णय ले कि वाद चलने लायक है या नहीं। फिर आगे की कार्रवाई की जाए।

मनीष यादव ने पूर्व में न्यायालय में प्रार्थना पत्र प्रस्तुत कर कहा था कि ठाकुर केशवदेव मंदिर के विग्रह आदि शाही मस्जिद ईदगाह में लगे हैं। इन कलाकृतियों से छेड़छाड़ हो सकती है। इसलिए अदालत निषेधाज्ञा लागू करे ताकि छेड़छाड़ न होने पाए। उन्होंने सभी वादों की एक साथ सुनवाई की मांग की थी।

हिन्दुस्थान समाचार/महेश

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