साहिब श्री गुरु अमरदास जी महाराज का श्रद्धा से मना प्रकाश पर्व

साहिब श्री गुरु अमरदास जी महाराज का श्रद्धा से मना प्रकाश पर्व


साहिब श्री गुरु अमरदास जी महाराज का श्रद्धा से मना प्रकाश पर्व


लखनऊ के गुरुद्वारा में सजाए गए दीवान और हुए शबद-कीर्तन

लखनऊ, 15 मई (हि.स.)। दुखियों के सहारे सिख के पंथ के तीसरे गुरु साहिब श्रीअमरदास जी महाराज का प्रकाश पर्व रविवार को शहर के सभी गुरुद्वाराें में श्रद्धा और हर्षोल्लास से मनाया गया। इस अवसर पर गुरुद्वारों में दीवान सजाया गया और शबद-कीर्तन हुए। अंत में भक्तों ने गुरु का लंगर भी छका।

नाका हिंडोला स्थित ऐतिहासिक श्री गुरुनानक देव जी श्री गुरू सिंह सभा, साधना परिवार के सदस्यों ने प्रभु नाम सिमरन से किया। हजूरी रागी जत्था भाई राजिंदर सिंह ने अमृतमयी आसा की वार का शबद कीर्तन गायन किया। तत्पश्चात मुख्य ग्रंथी ज्ञानी सुखदेव सिंह जी ने गुरु की महिमा का व्याख्यान संगत में किया।

ज्ञानी सुखदेव सिंह जी ने श्री गुरु अमरदास जी के जीवन पर प्रकाश डालते हुए बताया कि गुरु जी का जन्म अमृतसर में हुआ था। पिता जी का नाम श्री तेजभान जी व माता जी का नाम सुलखणी जी था। गुरुजी का जीवन बड़ा महान था। कहते हैं कि जब तक मनुष्य को मन की शान्ति न मिले तब तक मनुष्य इधर-उधर भटकता रहता है। इनका जीवन भी कुछ ऐसा ही था। गुरु बनने से पहले आप ने कई बार तीर्थाें की यात्रा की, पर मन को शान्ति न मिल सकी। एक बार अपने ही घर में गुरु अंगद देव जी की सपुत्री बीबी अमरो जी से गुरु जी की वाणी सुनी और गदगद हो गये। पूछने पर पता चला कि यह श्री गुरु नानक देव जी की वाणी है। उनकी गद्दी पर श्री गुरु अंगद देव जी बैठे हुए हैं। तब वह खंडूर साहिब में आए और वहां गुरु जी के दर्शन कर निहाल हो गए। तभी से श्री गुरु अंगद देव जी की सेवा में जुट गये, उस समय आपकी उम्र 62 वर्ष की थी। इतनी उम्र में आधी रात को उठकर ब्यास दरिया से पानी का कलश लाकर रोज गुरु जी को स्नान कराते थे और दिन रात उनकी सेवा में जुटे रहते थे। 72 वर्ष की आयु में सेवा करते देखकर श्री गुरु अंगद देव जी ने आपको गुरु गद्दी सौंप दी और वह दुखियों के सहारे श्री गुरु अमरदास जी बन गये। आरती के उपरान्त श्री गुरु ग्रन्थ साहिब जी पर संगत द्वारा फूलों की वर्षा की गई। कार्यक्रम का संचालन सतपाल सिंह मीत ने किया।

हिन्दुस्थान समाचार/शैलेंद्र

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