ऐतिहासिक और गौरवशाली तारीख : 18 मई 1974 : बुद्ध मुस्कुराए !

ऐतिहासिक और गौरवशाली तारीख : 18 मई 1974 : बुद्ध मुस्कुराए !


ऐतिहासिक और गौरवशाली तारीख : 18 मई 1974 : बुद्ध मुस्कुराए !


डॉ. चन्दर सोनाने

हमारे देश की आजादी के बाद के गौरवशाली इतिहास में 18 मई 1974 की तारीख एक ऐतिहासिक तारीख है ! इसी दिन बुद्ध पूर्णिमा के दिन भारत ने अपना पहला परमाणु परीक्षण कर विश्व में तहलका मचा दिया था ! भारत ने राजस्थान के पोखरण में अपना पहला भूमिगत परमाणु परीक्षण कर सारे संसार को न केवल चौंका दिया था , बल्कि दुनिया को भारत की ताकत का लोहा भी मनवा लिया था। इसके बाद अंतरराष्ट्रीय जगत में भारत का स्थान और उसकी साख एक मजबूत राष्ट्र के तौर पर उभरी थी ।

18 मई 1974 की सुबह आकाशवाणी के दिल्ली केंद्र पर चल रहे फिल्मी गीतों के कार्यक्रम को बीच में ही रोक कर एक उद्घोषणा हुई , कृपया एक महत्वपूर्ण प्रसारण की प्रतीक्षा करें । कुछ ही क्षण पश्चात उद्घोषक का स्वर गूँज उठा , आज सुबह 8.05 पर पश्चिमी भारत के एक अज्ञात स्थान पर शांतिपूर्ण कार्यों के लिए भारत ने एक भूमिगत परमाणु परीक्षण किया है । इस परीक्षण से पाँच दिन पहले 13 मई को परमाणु ऊर्जा आयोग के तत्कालीन अध्यक्ष श्री होमी सेठना की देखरेख में भारत के परमाणु वैज्ञानिकों ने परमाणु डिवाइस को असेंबल करना शुरू किया था । और 14 मई की रात उस डिवाइस को अंग्रेजी अक्षर एल की शक्ल में बने शाफ़्ट में पहुँचा दिया गया था । और बुद्ध पूर्णिमा के दिन 18 मई को राजस्थान के थार मरुस्थल में जैसलमेर से 110 कि मी दूर पोखरण में भारत ने अपना पहला सफल परमाणु परीक्षण कर दुनिया को दिखा दिया था कि हम भी कम नहीं है । चूंकि बुद्ध पूर्णिमा के दिन शांतिपूर्ण कार्यों के लिए भारत ने अपना पहला सफल परमाणु परीक्षण किया था , इसीलिए इसका कोड नेम दिया गया था - बुद्ध मुस्कुराए । भारत के इस परमाणु परीक्षण से विश्व में परमाणु ऊर्जा के क्षेत्र में पाँच बड़े देशों का एकाधिकार टूट गया । भारत ने इस क्षेत्र का पूरी दुनिया में छठवाँ देश होने का गौरव प्राप्त कर लिया था ।

इस पहले परमाणु परीक्षण के पहले का इतिहास और सफर जानना भी अत्यंत महत्वपूर्ण , रोचक और रोमांचकारी है । भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री श्री जवाहरलाल नेहरु अपने देश में परमाणु शक्ति का शांतिपूर्ण ढंग से अपने देश के विकास में रचनात्मक उपयोग करना चाहते थे , इसीलिए देश के आजाद होने के एक साल के अंदर ही 10 अप्रैल 1948 को परमाणु ऊर्जा अधिनियम पारित करवा लिया था ! इसके चार महीने बाद ही 10 अगस्त 1948 को डॉ होमी जहाँगीर भाभा की अध्यक्षता में परमाणु ऊर्जा आयोग भी बना दिया गया ! आयोग ने 3 जनवरी 1954 को एटॉमिक एनर्जी इस्टैब्लिशमेंट ट्राम्बे की स्थापना की और परमाणु ऊर्जा विभाग बनाया गया । डॉ भाभा को ही इस महत्वपूर्ण विभाग का सचिव बनाया गया । वे सीधे प्रधानमंत्री को ही रिपोर्ट करते थे । उन्होंने 1956 में भारत के पहले परमाणु रिएक्टर अप्सरा की शुरुआत की । विश्व के सैकड़ों देश उन दिनों परमाणु ऊर्जा के इस्तेमाल का सपना तक नहीं देख सकते थे , ऐसे में डॉ भाभा ने भारत के परमाणु कार्यक्रम को आसमानी ऊँचाई दी । डॉ भाभा ने 24 अक्टूबर 1964 को एटॉमिक रिसर्च पर अपने भाषण में यह कह कर दुनिया को बहुत बड़ा संकेत देते हुए स्पष्ट कह दिया था पर्याप्त संख्या में एटमी हथियारों से लैस मुल्क को सुरक्षा मिलती है । इससे किसी भी शक्तिशाली देश के हमले से सुरक्षा मिलती है । भारत अट्ठारह महीने में ही परमाणु बम बना सकता है ।

अपने देहावसान के पहले डॉ भाभा हिन्दुस्तान के परमाणु कार्यक्रम की मजबूत नींव रख चुके थे। डॉ भाभा की याद में तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी ने 12 जनवरी 1967 को परमाणु ऊर्जा आयोग का नाम बदलकर भाभा परमाणु अनुसंधान केन्द्र कर दिया । इसी केंद्र की देखरेख में 1969 में तारापुर में दो परमाणु रिएक्टर , 1972 में रावतभाटा परमाणु बिजलीघर और 1983 में चेन्नई परमाणु बिजलीघर ने उत्पादन शुरू कर दिया था । इसी नींव की बदौलत ही आज हमारे देश में 21 परमाणु बिजली उत्पादन इकाइयाँ काम कर रही है । इसकी उत्पादन क्षमता 6,700 मेगावाट से भी अधिक है ।

और एक बार फिर एक और ऐतिहासिक महत्व की तारीख आई । वह थी 11 मई 1998 । उस समय प्रधानमंत्री थे जन - जन के चहेते श्री अटल बिहारी वाजपेयी । और प्रधानमंत्री के वैज्ञानिक सलाहकार एवं डीआरडीओ प्रमुख थे भारत के मिसाइलमैन डॉ एपीजे अब्दुल कलाम साहब , जो बाद में भारत के राष्ट्रपति भी बने । उस महत्वपूर्ण तारीख को पोखरण में ही तीन और परमाणु परीक्षण किए गए ! और फिर दो दिन बाद ही 13 मई को पोखरण में ही दो और परमाणु परीक्षण किए गए ! इन परीक्षणों के बाद प्रधानमंत्री ने बाकायदा ऐलान किया कि भारत एक परमाणु हथियार सम्पन्न देश बन चुका है । परमाणु क्षमता विकसित करने वाले अमेरिका , रूस , चीन , फ्रांस और ब्रिटेन के बाद भारत दुनिया का छठवाँ देश बन गया था । देश के वैज्ञानिकों की दिन - रात की मेहनत ने सारे संसार में भारत का नाम रोशन कर दिया था । आज अगर हिन्दुस्तान परमाणु महाशक्तियों के बराबर खड़ा है , तो उसके पीछे करीब आधी सदी पहले प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी और करीब पौन सदी पहले प्रधानमंत्री श्री जवाहरलाल नेहरू द्वारा लिया गया संकल्प ही है । देश इन दोनों महान विभूतियों और महान वैज्ञानिकों की इस देन को कभी नहीं भूल पाएगा !

लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं ।

हिन्दुस्थान समाचार/

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