चैती गीत एहि ठइया मोतिया सुन आरएसएस प्रमुख मंत्रमुग्ध, शाखा में हुए शामिल

चैती गीत एहि ठइया मोतिया सुन आरएसएस प्रमुख मंत्रमुग्ध, शाखा में हुए शामिल


चैती गीत एहि ठइया मोतिया सुन आरएसएस प्रमुख मंत्रमुग्ध, शाखा में हुए शामिल


वाराणसी, 27 मार्च (हि.स.)। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ मोहन भागवत रविवार देर शाम चैती गीत एहि ठइया मोतिया होरी गीतों में फागुन में रास रचाये रसिया सुन कर मंत्रमुग्ध हो गये। पांच दिवसीय काशी प्रवास के अन्तिम दिन बीएचयू के स्वतंत्रता भवन सभागार में कुटुम्ब प्रबोधन के परिवार स्नेह मिलन कार्यक्रम में भाग लेने के दौरान डॉ भागवत अपने स्वागत में संस्कार भारती द्वारा आयोजित सांस्कृतिक कार्यक्रम में भी उत्साह से शामिल हुए। कार्यक्रम में लोक गायिका सुचारिता दासगुप्ता ने चैती गीत के साथ फागुन में रास रचाये रसिया, होरी दादरा में रंग डालूंगी नन्द के लालन पर सुनाकर उपस्थित लोगों को भावविभोर कर दिया। इनके साथ तबले पर पंकज, हारमोनियम पर सौरभ, बैंजो पर सुरेश व पैड पर संजू ने संगत की।

कार्यक्रम की शुरुआत में सरसंघचालक ने महामना मदन मोहन मालवीय एवं भारत माता के तैल चित्र पर पुष्प अर्पण कर दीप प्रज्वलन किया। मंगलाचरण वेंकट रमन घनपाठी, एकल गीत मृत्युंजय, अमृत वचन रितेश ने किया। अतिथि परिचय त्रिलोक ने कराया। मंच पर पूर्वी उत्तर प्रदेश क्षेत्र के सह क्षेत्र संचालक राम कुमार, काशी विभाग संघचालक जेपी लाल उपस्थित रहे।

इस दौरान अखिल भारतीय पदाधिकारी अनिल ओक, अजित महापात्रा, क्षेत्रीय पदाधिकारी पूर्वी उत्तर प्रदेश क्षेत्र प्रचारक अनिल, क्षेत्र कार्यवाह डॉ वीरेंद्र जायसवाल, राजेन्द्र सक्सेना, काशी प्रान्त प्रचारक रमेश, सह प्रान्त प्रचारक मुनीश, प्रचारक प्रमुख रामचन्द्र आदि भी मौजूद रहे।

माधव शाखा में ध्वज प्रणाम किया

पांच दिवसीय काशी प्रवास में लंका स्थित विश्वसंवाद केन्द्र में ठहरे आरएसएस के सर संघचालक डॉ मोहन भागवत केंद्र के पास लगने वाले संघ के माधव शाखा में पहुंचे तो स्वयंसेवक दंग रह गये। शाखा में लगभग 15 मिनट ठहराव के दौरान संघ प्रमुख ने प्रार्थना की और ध्वज प्रणाम किया। शाखा समाप्त होने के बाद कुछ देर वह शाखा के स्वयंसेवकों से मिले। उन्होंने संदेश दिया कि शाखा जीवन में संस्कार लाती है। समाज में स्वयंसेवकों को अपनी जिम्मेदारी सिखाती है। शाखा में खेलों के माध्यम से समाज में व्यवहार की सीख हमें मिलती है। मोहन भागवत ने युवा स्वयंसेवकों से बातचीत कर उत्साह बढ़ाया। साथ ही कहा कि महापुरुषों के जीवन को स्वयंसेवकों को पढ़ना चाहिए। उनके विचारों को आत्मसात करना चाहिए।

हिन्दुस्थान समाचार/श्रीधर

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