नगर निगम का कर्मचारी हारा जिंदगी की जंग, डॉक्टरों ने मरा बताकर चार दिन पहले रखवा दिया था मोर्चरी में

मुरादाबाद।  मुरादाबाद में जिंदा नगर निगम के कर्मचारी श्रीकेश को पहले डॉक्टरों ने मरा बताकर मोर्चरी में रख दिया था, लेकिन बाद में पता चला था कि श्रीकेश जिंदा है. जिसके बाद फौरन श्रीकेश को अस्पताल में भर्ती कराया गया. उसका इलाज फिर से शुरू किया गया. उसकी गंभीर हालत को देखते हुए उसे बाद में मेरठ मेडिकल कॉलेज में रेफर कर दिया गया था, लेकिन मंगलवार शाम 6.30 बजे उनकी इलाज के दौरान मौत हो गई. अस्पताल के डॉक्टर और कर्मचारियों की लापरवाही के शिकार हुए नगर निगम के कर्मचारी श्रीकेश आखिरकार जिंदगी की जंग हार ही गए.

मामला उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद जनपद का है। जानकारी के अनुसार संभल जनपद के पोटा बराही गांव के रहने वाले श्रीकेश गौतम नगर निगम में लैंप लाइटर के पद कार्यरत थे. वह अपनी पत्नी रानी के साथ लाइन पार में किराये के मकान में रहते थे.

टीवी 9 की खबर के अनुसार गुरुवार की रात करीब 9.30 बजे श्रीकेश डेयरी से दूध खरीदने जा रहे थे. इसी दौरान बाइक ने उन्हें टक्कर मार दी थी, जिसमें वह गंभीर रूप से घायल हो गए थे. परिजन घायल श्रीकेश को निजी अस्पताल में दिखाने के बाद जिला अस्पताल लेकर पहुंचे, जहां इमरजेंसी में तैनात डॉ. मनोज यादव ने उन्हें मृत घोषित कर दिया था. जिस के बाद देर रात करीब 2.30 बजे उनके शव को मोर्चरी में रखवा दिया गया था.

पंचनामा के दौरान पता चला कि घायल है जीवित

शुक्रवार सुबह 10.30 बजे पुलिस परिजनों को साथ लेकर मोर्चरी पहुंची. पुलिस ने यहां पंचनामा भरने की प्रक्रिया शुरू ही की थी कि देखा कि घायल जीवित है. इसके बाद श्रीकेश को दोबारा जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया था. जहां प्राथमिक उपचार के बाद घायल को मेरठ के मेडिकल कॉलेज में भेज दिया गया था. 104 घंटे श्रीकेश ने जिंदगी के लिए संघर्ष किया. मेडिकल कॉलेज के डॉक्टरों की टीम उनके उपचार में जुटी थी, लेकिन लंबे संघर्ष के बाद श्रीकेश की मौत हो गई. श्रीकेश के भाई सत्यानंद गौतम ने मौत होने की पुष्टि की है.

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