डीएम अनुराग पोषण माह पर रहे सावधान : बांदा में नहीं मिट सका कुपोषण का कलंक!

विनोद मिश्रा
बांदा।
डीएम अनुराग रहिये सावधान अन्यथा पोषण माह आकड़ों की भेंट चढ़ जायेगा। हम आपको बता दें की जिले में कुपोषण का कलंक अब तक नहीं मिल सका है। न तो सिस्टम इसके प्रति गंभीर है और न ही जिम्मेदार। हर साल सुपोषण माह तो चला दिया जाता है लेकिन इसका कितने लोगों को क्या लाभ मिला इसे जानने की फुर्सत किसी को नहीं होती।

कुपोषण मिटाने के लिए चलाया जाने वाला सुपोषण माह फिर सितंबर से शुरू हो चुका है लेकिन स्थानीय स्तर पर कोई प्रयास नहीं दिखाई दे रहा। न तो अभी तक जागरूकता के लिए कोई कार्यक्रम कराया जा रहा है और न ही कुपोषित बच्चों को पोषण देने की व्यवस्था की गई है। 

कुपोषण मिटाने के लिए गर्भवती महिलाओं को प्रोटीन और आयन की गोलियां देने का प्रावधान है। लेकिन धरातल पर सिर्फ खाना-पूरी!

बच्चों के संतुलित आहार के लिए आंगनबाड़ी केंद्रों पर हर माह पोषाहार दुधारू जानवरों के पेट में चला जाता है।

जिले में गैर सरकारी आकड़ों के अनुसार 33,316 है कुपोषित बच्चों की संख्या है,इसमें10,369 बच्चे हैं अति कुपोषण का शिकार हैं।

जिला कार्यक्रम अधिकारीका कार्यभार देख रहे एसडीएम सुधीर कुमार का कहना है की कुपोषित बच्चों के लिए बाल विकास परियोजना से कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं। पोषाहार भी लगातार बट रहा है। कहीं पोषाहार नहीं मिल पा रहा है तो वहां जांच कराकर कार्रवाई करेंगे।

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