गांव में ही मिला रोजगार, दिव्यांग रामनंदन अपना जीवन रहा संवार

गांव में ही मिला रोजगार, दिव्यांग रामनंदन अपना जीवन रहा संवार

रायपुर 4 सितम्बर 2021

बारहवी पास होने के पश्चात रोजगार हासिल कर पाना दिव्यांग श्री रामनंदन के लिए आसान नहीं था। रोजगार नहीं होने से न तो उसके पास आमदनी का कोई जरिया था और न ही स्वरोजगार के लिए इतने पैसे की वह कुछ धंधा कर सके। वह अपने गांव से शहर आकर काम भी नहीं कर सकता था, क्योंकि शहर में आकर काम करना उसके लिए एक बड़ी चुनौती से कम नहीं थी। एक दिन जब उन्हें मालूम हुआ कि मनरेगा से उन्हें योग्यता के अनुसार काम मिल सकता है तो दिव्यांग रामनंदन ने देरी नहीं की। उन्हें महात्मा गांधी नरेगा में मेट का काम मिला। अपने कार्यों को बखूबी अंजाम देने वाले रामनंदन रोजगार पाकर अपना घर चला पा रहा है।
सरगुजा जिले के अम्बिकापुर विकासखण्ड के ग्राम पंचायत चठिरमा निवासी श्री रामनंदन पिता श्री शिवप्रसाद उम्र 52 वर्ष ने बताया कि शहर आकर कुछ काम ढूंढना और शहर में ही रहकर काम कर पाना उसके लिए बहुत मुश्किल था। एक पैर से दिव्यांग होने की वजह से वह ज्यादा मेहनत वाला काम भी नहीं कर सकता है। वह लगातार काम के तालाश में था। इसी बीच जब उन्हें अपने ग्राम पंचायत के रोजगार सहायक श्री वीरसाय से मालूम हुआ कि मनरेगा अंतर्गत कार्यस्थलों पर 12 वीं तक शिक्षा होने के कारण मेट का कार्य मिल सकता है तो उन्होनें अपना नाम मेट पद के लिए दिया। मेट के रूप में काम मिल जाने के बाद रामनंदन रोजगार से जुड़ पाया। अब मनरेगा से मिलने वाली मजदूरी से वह अपने दो बच्चों की पढ़ाई एवं परिवार के भरण पोषण में खर्च उठा पाता है।
रामनंदन ने बताया कि मनरेगा से उन्हें अपने घर के पास ही कार्य मिला है। रोजगार गारंटी में 100 दिवस का कार्य करता है। उनकी बेरोजगारी को मनरेगा ने दूर किया। रोजगार सहायक श्री वीरसाय बताते है कि ग्राम पंचायत के महात्मा गांधी नरेगा में चलने वाली सभी कार्यों में रामनंदन को प्राथमिकता से कार्य दिया जाता है और वह मेट के साथ-साथ मजदूरों को पानी पिलाने का भी कार्य करते हैं। कारोना काल से रामनंदन कोविड-19 से बचाव हेतु सभी मजदूरों को जागरूक -करते हुए हाथ धुलाने व हमेशा मास्क लगाए रहने की अपील ने दिव्यांग श्री रामनंदन की अपनी अलग पहचान बनाई है वहीं कार्यस्थल पर अन्य मजदूरों के साथ भी वह लोकप्रिय है।

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