दिल्ली में 1964 के बाद हुई सबसे ज्यादा बरसात, अभी और बरसेंगे बादल

नई दिल्ली। भारत मौसम विज्ञान विभाग के आंकड़ों के मुताबिक, इस साल बेहतर मानसून के कारण दिल्ली में गुरुवार को दोपहर तक 1159.4 मिलीमीटर बारिश दर्ज की गई है, जो 1964 के बाद से सबसे अधिक और अब तक की तीसरी सर्वाधिक बारिश है. साथ ही, दिल्ली में सितंबर में हुई बारिश ने 400 मिमी के निशान को पार कर लिया है. गुरुवार दोपहर तक हुई 403 मिमी बारिश सितंबर 1944 में 417.3 मिमी के बाद से इस महीने में हुई सबसे अधिक वर्षा है.
ये आंकड़े बदल सकते हैं क्योंकि आज दिन भर और बारिश होने का अनुमान है. मौसम वैज्ञानिकों का कहना है कि वर्षा ऋतु के जाते-जाते यह दिल्ली में दूसरी सबसे ज्यादा मानसून की बारिश हो सकती है.

सामान्य तौर पर, दिल्ली में मानसून के मौसम में 653.6 मिलीमीटर बारिश होती है. पिछले साल राजधानी में 648.9 मिली बारिश हुई थी. एक जून को जब मानसून शुरू होता है, तब से 15 सितंबर के बीच शहर में सामान्य तौर पर 614.3 मिमी बारिश होती है. दिल्ली से मानसून 25 सितंबर तक लौटता है.

आईएमडी के मुताबिक, शहर के लिए आधिकारिक मानी जाने वाली सफदरजंग वेधशाला का कहना है कि शहर में गुरुवार को दोपहर तक इस मौसम की 1159.4 मिमी बारिश हो चुकी है. 1975 में 1,155.6 मिमी और 1964 में 1190.9 मिमी बारिश हुई थी.

अब तक की सबसे ज्यादा बारिश का रिकॉर्ड 1933 में हुई 1,420.3 मिमी वर्षा का है. इससे पहले, सुबह मौसम विभाग ने दिल्ली में दिन में मध्यम बारिश के लिए ऑरेंज अलर्ट जारी किया था. शुक्रवार को हल्की बारिश की संभावना है.
एक निजी मौसम पूर्वानुमान एजेंसी स्काईमेट वेदर के उपाध्यक्ष महेश पलावत ने कहा, Ó23-24 सितंबर तक बारिश बीच-बीच में होती रहेगी, जिसका मतलब है कि मानसून समाप्त होने तक, दिल्ली के नाम अब तक दूसरा सबसे ज्यादा बारिश वाला मानसून दर्ज हो सकता है.

पिछले दो दशकों में यह केवल तीसरी बार है जब दिल्ली में मानसून की बारिश ने 1000 मिमी के निशान को पार किया है. दिल्ली में 2011, 2012, 2013, 2014 और 2015 में क्रमश: 636 मिमी, 544 मिमी, 876 मिमी, 370.8 मिमी और 505.5 मिमी वर्षा हुई. आईएमडी के आंकड़ों के अनुसार 2016 में 524.7 मिमी; 2017 में 641.3 मिमी; 2018 में 762.6 मिमी; 2019 में 404.3 मिमी और 2020 में 576.5 मिमी बारिश दर्ज की गई.

अभी मानसून लौटने की संभावना नहीं
देश में इस वर्ष मानसनू लंबे समय तक बना रह सकता हैं, क्योंकि सितंबर के अंत तक उत्तर भारत में बारिश में कमी आने के संकेत नहीं दिख रहे हैं.

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