शिवराज के शासन में हुए घोटाले को 11 महीने बीते, एक भी कर्मचारी पर नहीं हुइ कार्रवाई

शिवराज के शासन में हुए घोटाले को 11 महीने बीते, एक भी कर्मचारी पर नहीं हुइ कार्रवाई

इंदौर (DVNA)। बीते छ: वर्षों में देखा जाए तो वैसे तो नगर निगम में बड़े घोटाले हुए हैं जिन पर कोई कार्रवाई नहीं हुई है। प्रत्येक घोटाले में केवल महज औपचारिकता निभा कर उसे ठंडे बस्ते में ही कर दिया है। इसी कड़ी में जहां फर्जी हस्ताक्षर अपर आयुक्त के करके राजस्व विभाग के कुछ कर्मचारी गड़बड़ में पाए गए उनके खिलाफ भी केवल औपचारिकता निभाई है तो 11 से 12 महीने पहले जल संसाधन विभाग में गड़बड़ी हुई थी उसमें भी ऐसा ही किया गया है।
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार नगर निगम के जल संसाधन मंत्रालय विभाग में कर्मचारियों को वेतन से अधिक राशि देने के मामले में जब ऑडिटर ने गड़बड़ी पकड़ी और लेखा विभाग ने आपत्ति उठाते हुए जिम्मेदार कर्मचारियों पर पुलिस प्रकरण दर्ज करने तक को की थी। इसके बावजूद अधिकारियों ने कोई महत्वपूर्ण कार्रवाई नहीं की है बल्कि जिम्मेदारों द्वारा टालमटोल कर मामले को दबाने का प्रयास किया गया है। दरअसल में ऑडिट विभाग में तीन कर्मचारियों को उनके वेतन से अधिक रााशि देने का मामला सामने आया था। इस मामले में करने वाले अधिकारी ने नगर निगम को स्पष्ट लिखा था कि यह जानबूझकर किया गया है। इसमें निगम को आर्थिक हानि पहुंचाई गई है।
इस तरह से अधिकारी ने लोक स्वास्थ्य मंत्रालय विभाग के अधिकारी द्वारा कर्मचारियों को लाभ पहुंचाने के मामले में था। एक अधिकारी पर हेरफेर करने के मामले में पुलिस प्रकरण किया जाए। इस तरह का अधिकारी के निर्देश के बाद लेखा विभाग ने भी इसी तरह की जानकारी दी और यह भी कहा गया कि जिन कर्मचारियों ने और अधिकारी ने इस तरह का कृत्य क्या है उसके वेतन से राशि काटी जाए एवं पुलिस में प्रकरण दर्ज किया जाए इतना होने के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं हो पाई है। यह भी कहा जा रहा है कि लगभग 11 से 12 लाख रुपए का गबन किया गया था,
लेकिन अधिकारी के निर्देश अनुसार यह राशि कर्मचारियों से वसूल करना थी परंतु कोर्ठ कार्रवाई नहीं हुई है। इस मामले में यह भी कहा जा रहा है कि पीएचई विभाग से प्रतिनियुक्ति के आधार पर निगम में आए संजीव श्रीवास्तव एवं अन्य कर्मचारियों के खिलाफ भी कार्रवाई होना थी परुं इसमें भी पूरी तरह से लीपापोती की गई है। नगर निगम में बीते कई वर्षों से कई ऐसे मामले रहे हैं जिसमें केवल मामला अधिकारियों को दबाने का ही काम किया है और दोषियों पर अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है।

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