
मुरादाबाद। देश में हर साल जून और जुलाई के महीने में जमकर बारिश होती है। इन दो महीनों में होने वाली बारिश देश में सालाना होने वाली बारिश का लगभग 70 फीसदी होती है लेकिन इस बार दक्षिण-पश्चिम मॉनसून दो दिन की देरी से दस्तक देता दिखाई दे रहा था और केरल में मॉनसून के तीन जून तक पहुंचने का अनुमान लगाया जा रहा था। जबकि मौसम विभाग ने पहले 31 मई को मॉनसून के दस्तक देने का अनुमान जताया था। बाद में तीन जून से बारिश होने की उम्मीद जताई थी लेकिन मौसम विभाग को हां और ना के बीच पश्चिम उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद मंडल में मॉनसून समय से पहुंचा और जमकर इन्द्रदेव बरस रहे हैं।
मॉनसून का पूर्वानुमान कितना सटीक
मॉनसून के आगमन का अनुमान पहले ही लगा लिया जाता है। आमतौर पर एक जून से बारिश के मौसम की शुरुआत होती है लेकिन कई बार ये देरी से भी दस्तक देता है। मॉनसून का पूर्वानुमान एक ऐसी अबूझ पहेली है जिसका अनुमान लगाना बेहद कठिन है। 16 पैरामीटरों/मानकों का सूक्ष्मता से अध्ययन कर मॉनसून की भविष्यवाणी की जाती है। भारतीय मौसम विभाग की भविष्यवाणियों की सटीकता 70-80 फीसदी तक रहती है।अभी भी मॉनसून पूर्वानुमान की भविष्यवाणी और असल परिस्थितियों में अंतर पाया जाता है।
मॉनसून का देश व प्रदेश के लिए महत्व
मॉनसून न केवल हमें गर्मी से छुटकारा दिलाता है बल्कि भारतीय अर्थव्यवस्था और कृषि क्षेत्र को दुरुस्त तरीके से चलाने में भी सहायक होता है। बारिश का मौसम आते ही किसान खरीफ, चावल, दालें, तिलहन जैसी फसलों का रोपण शुरू कर देते है। बारिश इस प्रमुख फसलों की पैदावार को भी प्रभावित करती है। अच्छे मॉनसून से कृषि उत्पादन बढ़ता है। बारिश के मौसम से जमीन, तालाबों या नदियों में पानी भर जाता है, जिससे सिंचाई करने में मदद मिलती है। पानी से बिजली उत्पादन भी बढ़ता है. इससे अर्थव्यवस्था पर अच्छा प्रभाव पड़ता है. लेकिन खराब मॉनसून भारतीय अर्थव्यवस्था और विकास पर बुरा प्रभाव दाल सकता है।
मॉनसून का क्या है मतलब…
‘मॉनसून’ अरबी भाषा के शब्द मौसिम से निकला है। इसका मतलब होता है ‘हवाओं में ऋतुवत बदलाव। ‘ जब हवाएं नवंबर से मार्च तक उत्तर-पूर्व से दक्षिण-पश्चिम की ओर चलती हैं तो इसे शीत ऋतु का मॉनसून कहा जाता है. वहीं जून से सितंबर तक ये हवाएं दक्षिण-पश्चिम से उत्तर-पूर्व दिशा की ओर चलती हैं तो इसे गर्मी का मॉनसून या ग्रीष्म मॉनसून कहा गया है।
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