जिन भाजपा नेताओं पर प्रताड़ना के आरोप वे शिवराज की शरण में : दिग्विजय सिंह

भोपाल। जिन दिग्विजय सिंह के शासनकाल में बुंदेलखंड क्षेत्र में सामंतों के आतंक के कारण कोई भी दलित और पीडि़त वर्ग सर नहीं उठा पाता था यही नहीं उन्हीं के शासनकाल में पन्ना के सर्किट हाउस पर नेताओं और बार-बार तबादले से परेशान होकर एक अधिकारी ने स्वयं को गोली मारकर आत्महत्या कर ली थी, वही दिग्विजय सिंह आज शिवराज के शासनकाल में भीकनगांव में जनपद पंचायत के सीईओ की संदिग्ध मौत के बाद मिले सुसाइड नोट में कुछ भाजपाई नेताओं का नाम आने की बात कह रहे हैं.

हालांकि यह सभी जानते हैं कि जबसे इस प्रदेश में भाजपा की और खासकर शिवराज सिंह की सरकार में जिस तरह का भाजपाई नेताओं की दबंगाई की चर्चायें आयेदिन सुर्खियों में बनी रहती हैं जिसके चलते भाजपा नेताओं द्वारा अधिकारियों पर दबाव बनाकर नाजायज कार्य कराने के प्रयास किये जाते हैं इस मामले में कुछ ऐसा ही हुआ जिसमें भीकनगांव जनपद पंचायत के सीईओ राजेश बाहेती की संदिग्ध मौत की पुलिस भले ही आत्महत्या मानकर चल रही हो लेकिन कररीब 18 फीट ऊंची छाती वाले गार्डर-पाइप पर रस्सी में गठान बांध कर फांसी पर कैसे लटके यह क्राइम सीन पुलिस के लिए भारी पड़ सकता है। इस बीच पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के ट्विट करने से यह मामला राजनीतिक रूप से तूल पकडऩे लगा है। दूसरी तरफ परिजनों का तर्क है कि राजेश बाहेती के हाथों पर रस्सी बांधने के निधान, पेट पर निशान देख चुके परिवार के सदस्य यह कैसे मान लें कि राजेश बाहेती ने आत्महत्या की होगी। परिजनों को संदेह है कि जिन लोगों के अनैतिक दबाव के कारण वो परेशान चल रहे थे उनमें से ही किसी ने उनकी मौत को आत्महत्या का रूप दिया है। सीईओ राकेश बाहेती का तबादला आदेश तो पेटलावद का जारी हुआ था लेकिन पेटलावद सीईओ द्वारा अपने तबादले को न्यायालय में चुनौती देने से वो पेटलावद ही पदस्थ थे।

भीकनगांव सीईओ का पद रिक्त रहने की स्थिति में अगले आदेश तक बाहोती को यहां प्रतिनियुक्ति पर पदस्थ किया गया था। उनसे पहले भीकनगांव सीईओ पद पर सविता आर्य पदस्थ थीं। उनके खिलाफ सीएम से आदेश न मिलने जैसी शिकायतें कर उनका तबादला उन्हीं नेताओं ने करा दिया था जिनके नाम बाहेती की संदिग्ध मौत से चर्चा में है। पुलिस जांच राजनीतिक दबाव से निष्प्रभावी रहती है तो भाजपा के तीन स्थानीय नेताओं की परेशानी बढ़ सकती है। जानकारी यह भी है कि ये तीनों नेता अपने सरकारी आवास में फांसी लगाकर खुदकुशी करने वाले बाहेती को सुसाइड नोट पुलिस के हाथ लगने के बाद से ही गायब हैं। इनके राजधानी भोपाल में डेरा डालने की सूचना है। इस बीच पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के ट्वीट ने इस मामले को और गरमा दिया है। जवाहर नगर (राजेंद्र नगर इंदौर) निवासी बाहेती परिवार का दावा है कि पुलिस को राजेश बाहेती का लिखा सुसाइड नोट भी मिला है। मृतक के परिवार में पत्नी किरण, निजी बैंक में कार्यरत पुत्र ऋषि और पुत्री रिया अजमेरा है। रिया के पति (बाहेती के दामाद) पलाश अजमेरा ने चर्चा में बताया कि बीते एक पखवाड़े से पापाजी बेहद तनाव में थे। हम सबने कहा भी था कि आप वीआरएस ले लीजिए। परिवार से चर्चा में वो तनाव का कारण जनपद पंचायत के कुछ नेताओं को बताते थे। सीईओ के सुसाइड नोट में भीकनगांव जनपद अध्यक्ष रेखा बाई खतवासे, उपाध्यक्ष दुलीचंद बांके और भाजपा मंडल अध्यक्ष सत्येंद्र चौहान द्वारा पैसे के लिए प्रताडि़त करने, मीटिंग में अपमानित करने तथा नियम विरुद्ध काम के लिए दबाव बनाने की बात का उल्लेख है। कुछ दिन पूर्व जब बाहेती इंदौर आए थे तब उन्होंने अपनी पत्नी से भी इसका उल्लेख करते हुए कहा था कि यह लोग उन्हें पैसे के लिए बहुत परेशान करते हैं और उल्टे सीधे काम के लिए दबाव बनाते हैं। उन्होंने यह भी कहा था कि कुछ पेंडिंग काम निपटने के बाद वह नौकरी ही छोड़ देंगे। बाहेती के परिजनों का कहना है कि पुलिस को सुसाइड नोट के आधार पर दोषी लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करना चाहिए। इस बीच परिजन ने आत्महत्या ना मानने के जो कारण बताए हैं वे इस प्रकार हैं- 18 फीट ऊंची पाईप पर कैसे रस्सी में गठान कैसे बांधी। हाथ पर रस्सी बांधने जैसे निशान, पेट पर निशान था। पुलिस वाले आत्महत्या रिपोर्ट पर साइन करने का दबाव क्यों बनाते रहे। गेट बाहर से बंद तो अंदर फांसी कैसे लगा ली?

Post a Comment

0 Comments