
नई दिल्ली। ताउते के कहर के बाद अब चक्रवाती तूफान यास का खतरा मंडराने लगा है। इसे लेकर राज्यों ने सतर्कता बरतनी शुरू कर दी है। ताउते ने गुजरात और महाराष्ट्र में जमकर कहर मचाया था। अब बंगाल की खाड़ी में 'चक्रवाती तूफान' यास के मद्देनजर ओडिशा सरकार ने तटीय जिलों में हाई अलर्ट जारी कर दिया है। ओडिशा के मुख्य सचिव सुरेश चंद्र महापात्रा ने शुक्रवार को जानकारी दी कि ओडिशा के सभी तटीय और आसपास के जिलों को हाई अलर्ट पर रखा गया है। वहीं राज्य सरकार ने शुक्रवार को भारतीय नौसेना एवं भारतीय तट रक्षक बल से स्थिति से निपटने के लिए तैयार रहने का आग्रह किया है।
मुख्य सचिव महापात्रा ने कहा, 'सभी लाइन के विभागों, एनडीआरएफ, तटरक्षक बल, आईएनएस चिल्का, डीजी पुलिस और डीजी फायर सर्विस के साथ बैठक की गई। महापात्रा ने कहा, 'मौसम विभाग की भविष्यवाणियों को ध्यान में रखते हुए बिजली कंपनियों, ग्रामीण और शहरी वाटर सप्लाई विभागों, स्वास्थ्य विभागों, ओडिशा डिजास्टर रिस्पांस फोर्स और एनडीआरएफ जैसे सभी संबंधित विभागों को मैनपॉवर और जरूरी सामान के साथ तैयार रहने के लिए अलर्ट पर रखा गया है'।
महापात्रा ने कहा, 'बड़े पैमाने पर चक्रवात आश्रयों और सुरक्षित भवनों की पहचान की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। राहत और बचाव के लिए जो कुछ भी जरूरी है, उसकी व्यवस्था कर ली गई है'। उन्होंने यह भी कहा कि चक्रवात से निपटने के लिए पूरा प्रशासन पूरी तरह से तैयार है। राज्य के शीर्ष अधिकारी ने कहा कि अगले दो-तीन दिनों में चक्रवात के सभी रास्तों के बारे में साफ-साफ मालूम चल जाएगा। फिर राज्य तय करेगा कि कहां ज्यादा ध्यान केंद्रित करना है।
मत्स्य विभाग ने अपनी चेतावनी के माध्यम से उन मछुआरों को वापस बुला लिया गया है, जो समुद्र में थे। उन्होंने कहा कि भारतीय तटरक्षक बल के दो एयरप्लेन और शिप पारादीप समुद्र में गश्त कर रहे हैं ताकि जहाजों, मछली पकडऩे वाली नौकाओं को चक्रवात से पहले तट पर आने के लिए मार्गदर्शन दिया जा सके।
वहीं मौसम विभाग ने कहा है कि 22 मई को पूर्व मध्य बंगाल की खाड़ी और उससे सटे उत्तरी अंडमान सागर के ऊपर एक कम दबाव का क्षेत्र बनने की पूरी संभावना है। इसके उत्तर-पश्चिम की ओर बढऩे और 24 मई तक एक चक्रवाती तूफान में तब्दील होने की संभावना है। इसके बाद तूफान उत्तर-पश्चिम की ओर बढऩा जारी रहेगा और तेज होता रहेगा। जानकारी के मुताबिक, यह तूफान 26 मई की सुबह ओडिशा-पश्चिम बंगाल तटों के पास यानी बंगाल की उत्तरी खाड़ी तक पहुंच जाएगा।
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