चित्रकूट जेल में गैंगवार: मेराज की हत्या के बाद करीबियों में दहशत, पूर्वांचल में मचा है हड़कंप!

विनोद मिश्रा
बांदा।
मंडल कारागार में बन्द मऊ जिले के सदर बाहुबली विधायक  मुख्तार अंसारी के करीबी भाई मेराज की शुक्रवार को चित्रकूट जेल के अंदर हुई हत्या और पश्चिमी के कुख्यात मुकीम काला, अवध के कुख्यात अपराधी अंशु दीक्षित की हत्याओं ने एक बार फिर से बता दिया है कि जेल अब सुरक्षित नहीं है। एक से बढ़कर एक अत्याधुनिक असलहे रखने के शौकीन मेराज की हत्या के बाद वाराणसी जिला जेल चौकाघाट में बंद उसके पांच से छह करीबियों की सांसें ऊपर नीचे हो रही हैं। मेराज के भाई सेराज और भांजे परवेज को कैंट पुलिस ने बीते साल सितंबर में गिरफ्तार कर जेल भेजा था। मेराज की हत्या के बाद बांदा,बनारस से लेकर गाजीपुर व मऊ तक हड़कंप मचा हुआ है।

मेराज का शव चित्रकूट से सुबह वाराणसी पहुंच गया। पहड़िया स्थित अशोक विहार कॉलोनी में आवास पर कुछ देर के लिए मेराज का शव रखा रहा। इसके परिजन शव लेकर गाजीपुर के करीमुद्दीनपुर स्थित महीन गांव निकल गए। यहीं पैतृक गांव में ही मेराज के शव को दफनाया जाएगा।

मेराज पर 20 मुकदमे दर्ज थे
विधायक मुख्तार अंसारी के साथ मिलकर काम करने वाले मेराज पर पहला मुकदमा वर्ष 2002 में हत्या व हत्या का प्रयास का सिगरा थाने में दर्ज हुआ था। इसके बाद 2003 में ही अवैध असलहा और मादक पदार्थ रखने में दो मुकदमे कैंट थाने में दर्ज हुए थे। इसके बाद भी मेराज का नेटवर्क अवध क्षेत्र में विस्तारित होने लगा और अवैध असलहा रखने के मामले में रायबरेली कोतवाली में दो बार मुकदमा दर्ज हुआ था। जैतपुरा थाने में भी साल दर साल तीन मुकदमे मेराज पर दर्ज हुए थे।

मुख्तार का वरदहस्त होने के कारण जेल के अंदर भी मेराज बहुत दिन तक नहीं रह पाता था। चौक, सिगरा और कैंट थाने में मेराज पर अधिकतर मुकदमे अवैध असलहा रखने के आरोप में ही दर्ज हुए थे। मेराज पर आखिरी मुकदमा कैंट थाने में 23 जनवरी 2021 में धोखाधड़ी का दर्ज हुआ था। पुलिस डोजियर के अनुसार मेराज पर कुल 20 आपराधिक मुकदमे दर्ज थे।

वाराणसी के जैतपुरा थाने में मेराज ने सरेंडर किया था। घटना के दिन सुबह करीब दस बजे जेल में बंद अंशु अपने बैरक से निकला। जब वहां तैनात सुरक्षाकर्मियों से उसने कहा कि वो पीसीओ जा रहा है, किसी को फोन करना है। तब किसी को अंदाजा नहीं था कि वो क्या करने वाला था। इस वक्त उसके पास पिस्टल थी। एक बड़े पुलिस अफसर ने बताया कि बैरक से निकलने के बाद अंशु सीधे मेराज की हाई सिक्योरिटी बैरक में पहुंचा। मेराज को देखते ही उस पर पिस्टल तान दी। उसने कहा कि तुम लोगों ने बहुत आतंक मचा लिया। अब मुख्तार अंसारी का खेल खत्म हो चुका है, उसका कोई गुर्गा जिंदा नहीं रहेगा। जब तक मेराज कुछ समझ पाता अंशु ने उस पर गोलियां दाग दीं।

गोलियों की तड़तड़ाहट से वहां भगदड़ मच गई। कुछ ही सेकेंड बाद वो अस्थायी बैरक में पहुंचा यहां पर मुकीम काला को पकड़ लिया। उससे कहा कि तुम्हारा इंतजार था। मुख्तार का कोई बदमाश जिंदा नहीं रहेगा। खेल खत्म। तुरंत मुकीम को भी गोलियों से भून डाला। इस दौरान अंशु भी पुलिस की मुठभेड़ में मर गया।

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