बंगाल में बीजेपी कार्यकर्ताओं की हत्या की याचिका पर सुनवाई करेगा सुप्रीम कोर्ट

बंगाल में बीजेपी कार्यकर्ताओं की हत्या की याचिका पर सुनवाई करेगा सुप्रीम कोर्ट

नईदिल्ली-डीवीएनए। सुप्रीम कोर्ट ने भाजपा के दो कार्यकर्ताओं के परिजन की याचिका पर सुनवाई के लिए सहमति जताई जो दो मई को पश्चिम बंगाल में चुनावी हिंसा में मारे गए थे। याचिका में शीर्ष अदालत की निगरानी में जांच कराने और मामले को सीबीआई या विशेष जांच दल (एसआईटी) को स्थानांतरित करने की मांग की गई है। न्यायमूर्ति विनीत शरण और न्यायमूर्ति बी आर गवई की पीठ ने पश्चिम बंगाल सरकार और केंद्र को बिश्वजीत सरकार और स्वर्णलता अधिकारी की याचिका पर नोटिस जारी किया। सरकार के बड़े भाई और स्वर्णलता के पति चुनावी हिंसा में मारे गए थे। पीठ ने कहा कि वह 25 मई को मामले पर सुनवाई करेगी और वरिष्ठ वकील महेश जेठमलानी से कहा कि याचिका की प्रति राज्य सरकार के वकील को सौंपी जाए। जेठमलानी ने कहा कि यह काफी गंभीर मामला है और भाजपा के दो नेताओं की जघन्य हत्या पर राज्य सरकार कार्रवाई नहीं कर रही है।
उन्होंने कहा कि ये हत्याएं राज्य विधानसभा चुनावों के मतगणना के दिन हुईं। उन्होंने कहा कि इस मामले में सीबीआई या एसआईटी द्वारा अदालत की निगरानी में जांच किए जाने की जरूरत है क्योंकि राज्य पुलिस शिकायत के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं कर रही है। उन्होंने कहा, श्श्हत्याएं पश्चिम बंगाल में चुनाव परिणाम के दिन हुईं। एक याचिकाकर्ता भाजपा कार्यकर्ता का छोटा भाई है जिसकी हत्या हो गई और दूसरी याचिकाकर्ता मृतक की पत्नी है। पीठ ने पश्चिम बंगाल की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ वकील सिद्धार्थ लूथरा से पूछा कि याचिका की प्रति राज्य सरकार को भेजी गई है या नहीं जिस पर उन्होंने कहा कि अभी तक उन्हें प्रति प्राप्त नहीं हुई है। इसने जेठमलानी से कहा कि प्रति भेजी जाए और मामले में सुनवाई की अगली तारीख 25 मई तय की।
कलकत्ता उच्च न्यायालय ने निर्देश दिया कि पश्चिम बंगाल में चुनाव बाद हिंसा में प्रभावित कोई भी व्यक्ति राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी), पश्चिम बंगाल मानवाधिकार आयोग (डब्ल्यूबीएचआरसी) , राष्ट्रीय महिला आयोग (एनसीडब्ल्यू) और राष्ट्रीय अनुसूचित जातिध्जनजाति आयोग (एनसीएससीएसटी) में शिकायत दर्ज करा सकता है। राज्य में चुनाव बाद हिंसा को लेकर दायर की गयी याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए पांच न्यायाधीशों की पीठ ने निर्देश दिया कि ये आयोग तत्काल इन शिकायतों को पुलिस महानिदेशक (डीजी) के पास भेजेंगे। पीठ ने कहा, हम निर्देश देते हैं कि यदि कोई व्यक्ति चुनाव बाद हिंसा में प्रभावित हुआ है तो उसे संबंधित दस्तावेजों के साथ राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी), पश्चिम बंगाल मानवाधिकार आयोग (डब्ल्यूबीएचआरसी) , राष्ट्रीय महिला आयोग (एनसीडब्ल्यू) और राष्ट्रीय अनुसूचित जातिध्जनजाति आयोग (एनसीएससीएसटी) में शिकायत दर्ज कराने की छूट होगी।
न्यायालय ने निर्देश दिया कि शिकायत पत्र के तौर पर या ऑनलाइन दर्ज करायी जा सकती है। साथ ही न्यायालय ने अगली सुनवाई की तारीख 25 मई तय की। इस पीठ में कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति राजेश बिंदाल, न्यायमूर्ति आई पी मुखर्जी , न्यायमूर्ति हरीश टंडन, न्यायमूर्ति सौमेन सेन और न्यायमूर्ति सुब्रत तालुकदार हैं। राज्य सरकार ने अदालत से आयोगों से पुलिस महानिदेशक को मिली शिकायतों की संख्या पर सूचना देने के पिछले अदालती आदेश के अनुपालन को लेकर समय मांगा। पिछली सुनवाई के दौरान पीठ ने राज्य का प्रतिनिधित्व कर रहे महाधिवक्ता से अदालत को पीड़ित व्यक्ति द्वारा ऑनलाइन शिकायत करने के लिए निर्धारित ई-मेल आईडी बताने का अनुरोध किया था।
याचिकाकर्ताओं ने आरोप लगाया था कि उन्हें थानों में शिकायत दर्ज नहीं कराने दी गयी और कुछ मामलों में तो वे ऐसा नहीं कर पाये क्योंकि चुनाव बाद हिंसा से उन्हें अपने निवास स्थान छोड़कर भागना पड़ा। सरकार ने इस पर सूचना उपलब्ध कराने के लिए समय मांगा था।

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