निजता के अधिकार की आड़ में व्हाटसअप अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के दुरुपयोग को दे रही बढ़ावा: डॉ. चंद्रमणी तिवारी

न्यायपालिका संविधान की सजग प्रहरी 
सोशल मीडिया विचार अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को बाधित कर भारतीय  संप्रभुता को दे रही चुनौती 

 

रायपुर। इन दिनों व्हाट्सअप कंपनी और फेसबुक पर सोशल मीडिया में निजता के अधिकार पर जमकर चर्चा हो रही है। सामाजिक कार्यकर्ता डॉ. चंद्रमणी तिवारी ने सोशल मीडिया पर आने वाले विचारों पर कड़ी प्रतिक्रिया जाहिर करते हुए जहां न्यायपालिका को भारतीय संविधान का सजग प्रहरी बताया है वहीं एशिया महाद्वीप में भारत में लागू संविधान द्वारा विचार अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर संविधानर की कंडिका 14 क के तहत मर्यादित अभिव्यक्ति के प्रावधान का उल्लेख करते हुए भारतीय परिवेश में वैचारिक स्वतंत्रता की आड़ में अमर्यादित टिप्पणी पर व्हाट्सअप और फेसबुक कंपनी द्वारा स्वच्छंद एवं अमर्यादित आचरण को बढ़ावा देने का आरोप लगाया है। डॉ. तिवारी का कहना है कि उक्त मामले को लेकर दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका लंबित है। वे सुप्रीम कोर्ट के सीजेआई से एवं दिल्ली हाईकोर्ट के सीजे से संवैधानिक  प्रावधानों के तहत मामले की सुनवाई का आग्रह करते है साथ ही उन्होंने एशिया महाद्वीप एवं विश्व की तीसरी शक्ति चीन का उल्लेख करते हुए बताया कि वहां पर सोशल मीडिया बैन है केवल वहां के प्रमुख अखबार  चाइना लेली के जरिए ही वहां की आवाम को सूचनाओं के बारे में जानकारी मिलती है। 
गौरतलब है कि केंद्र सरकार द्वारा विचार अभिव्यक्ति के दुरुपयोग पर केंद्रिय सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के माध्यम से अमर्यादित तथ्यहीन एवं असत्य जानकारियों को सोशल मीडिया में फालोवर्स द्वारा डाले जाने पर प्रतिबंध लगाते हुए दंडात्मक कार्रवाई पर जोर दिया गया है जिसका व्हाट्सअप कंपनी कड़ा विरोध कर रही है। सोशल मीडिया के जरिए भारत की संप्रभुता पर हमला करने वालों की पूरी एक फौज खड़ी है। डॉ. तिवारी के अनुसार यह भारत की वैचारिक स्वतंत्रता को हमलावर तरीके से नेस्तनाबूद करने का वैश्विक षडयंत्र है जिस पर हर भारतीय नागरिक को अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए वैचारिक स्वतंत्रता की आड़ में होने वाली अवैधानिक गतिविधियों को रोके जाने के संवैधानिक मौलिक अधिकार का उपयोग कर देश की संस्कृति एवं स्वतंत्रता की रक्षा करनी चाहिए। 

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