डॉक्टरों ने पहली बार देखा ब्लैक फंगस का खतरनाक असर

मुरादाबाद। जिले में ब्लैक फंगस से पीडि़त मरीजों की संख्या बढने के साथ ही चिकित्सक इसके खतरनाक दुष्प्रभावों से रूबरू हो रहे हैं। ब्लैक फंगस से पीडित कई मरीजों पर इसका काफी बुरा असर होने के मद्देनजर चिकित्सक देशभर के विशेषज्ञों के साथ ऑनलाइन कांफ्रेंस के माध्यम से स्क्रीन पर रेडियोलॉजिकल व माइक्रोबायोलॉजिकल जांच की इमेज देखकर इसे समझने की कोशिश कर रहे हैं।

अधिकांश चिकित्सकों का ब्लैक फंगस के परिणामस्वरूप मरीज के प्रभावित हिस्से में दिखाई देने वाले असर के बारे में अभी तक, पूरी जानकारी नहीं हो पाने की बात से मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ.मिलिंद चंद्र गर्ग ने भी इत्तफाक किया। वहीं, महानगर के वरिष्ठ नेत्ररोग विशेषज्ञ डॉ.एके गोयल ने कहा कि ब्लैक फंगस पुरानी बीमारी है, लेकिन, कई कोविड संक्रमित मरीजों के रूप में इसे उन्हें अपनी चपेट में ले लेने का अनुकूल वातावरण मिल गया। ब्लैक फंगस को मेडिकल साइंस में ऑपरच्यूनिस्ट यानि अवसरवादी फंगस की संज्ञा दी गई है।

ऑक्सीजन लगाने में गड़बड़ी का नतीजा ब्लैक फंगस
महानगर के वरिष्ठ नेत्ररोग विशेषज्ञ डॉ.एके गोयल ने बताया कि प्लांट्स में ऑक्सीजन तैयार होते समय वातावरण में मौजूद ऑक्सीजन के साथ इसमें मौजूद बैक्टीरिया आदि भी पहुंच जाते हैं। चिकित्सा के क्षेत्र में ऑक्सीजन का इस्तेमाल करने से पहले फिल्टर करना जरूरी है। चूंकि, एंटी बायोटिक फंगस से ही बनती हैं इसलिए ब्लैक फंगस का अंदेशा होने पर एंटीबायोटिक नहीं दिए जाने चाहिए। ऑक्सीजन लगाते समय अस्वच्छ पानी का इस्तेमाल करने आदि कारणों से वातावरण में हमेशा मौजूद रहने वाले ब्लैक फंगस को हमला बोलने के लिए सबसे अनुकूल वातावरण मिल गया।

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