सूनीं हुई गोशालाएं, सड़क पर विचरण कर रहे गोवंश

 

बांदा-डीवीएनए।संक्रमण काल में जहां लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ा वहीं गोवंश भी इससे अछूते नहीं रहे। भले ही वह संक्रमण की चपेट में न आए हो लेकिन प्रशासन की सक्रियता संक्रमण की ओर बढ़ने से गोशालाओं में अव्यवस्थाएं छाई रहीं। कहीं चारे की कमी दिखी तो कहीं गोवंश पानी को भी तरस गए। लोगों ने प्रशासन से इसकी शिकायत की तो संचालकों ने धीरे-धीरे कर सारे गोवंश आश्रय केंद्रों से बाहर निकाल दिए।
शासन के निर्देश पर अतर्रा में अन्ना जानवरों के आश्रय के लिए लगभग दो करोड़ की लागत से कान्हा पशु आश्रय केंद्र का निर्माण कराया गया। जिसकी क्षमता 120 मवेशियों को रखने की है। लेकिन क्षेत्र में अन्ना समस्या को देखते हुए यहां पर 250 गोवंशों को रखा गया। गोवंश के छोटे बछड़ो के लिए पानी की छोटी चरही न होने के चलते पानी पीने में भी दिक्कत होती है। इस भीषण गर्मी में खुले आसमान के नीचे खड़े रहने को मजबूर है। इस संबंध में ईओ अतर्रा राम सिंह का कहना है बोर्ड बैठक में प्रस्ताव करा टीन शेड लगवाया जाएगा।
बबेरू नगर पंचायत में कोई भी गोशाला संचालित नहीं है। इससे समीपवर्ती गांवों के अन्ना मवेशी दिनभर कस्बे की सड़कों, गलियों में दिनभर विचरण करते हैं। यह राहगीरों के लिए मार्ग दुर्घटनाओं का कारण बनते हैं। संवाद सूत्र कमासिन कमासिन विकास खंड में 42 गोशाला संचालित हैं। करीब 85सौ गोवंश मौजूद थे। लेकिन फसल कटने के बाद 2 व 3 मई से पशु आश्रय केंद्रों से गोवंशो को अन्ना कर दिया गया है।
नरैनी तहसील के उत्तर प्रदेश व मध्य प्रदेश की सीमा में स्थित गोपाल गो सेवा ट्रस्ट द्वारा गोशाला का संचालन किया जा रहा है। हमारे प्रतिनिधि ने मौके पर जाकर देखा कि वहां पर मात्र एक दर्जन गोवंश ही मिले। जबकि ग्राम पंचायत रगौली भटपुरा मे 12 बीघे पर बनी गोशाला में 465 गोवंश पंजीकृत है। गोशाला के नाम पर प्रति गोवंश 30 रुपये खर्च शासन द्वारा दिया जाता है जिसमें से 13,950 प्रतिदिन का 465 गायों का डिमांड गोशाला प्रबंधक कमेटी द्वारा किया जाता है।
खंड विकास अधिकारी मनोज कुमार का कहना है कि सभी गोशालाओं में पशुओं को रखने के आदेश है। इसके अनुसार बजट दिया जा रहा है। अगर कहीं पर भी कोई दिक्कत है तो उसकी जांच कराई जाएगी। अगर संचालक दोषी पाए गए तो उन पर कार्रवाई की जाएगी।
संवाद विनोद मिश्रा

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