विनोद मिश्रा
बांदा। मण्डल की चित्रकूट जेल में सनसनीखेज शूटआउट को लेकर एक बड़ा रहस्य गहरा गया है। जो चौंकाने वाला है। साथ ही कई सवाल खड़े करता है।
जेल में जब अंशू दीक्षित ने मेराज और मुकीम की हत्या के बाद पांच बंदियों को बंधक बनाया था तो एक जेल वार्डर जगमोहन अंशू को बातचीत कर सरेंडर करने को कह रहा था।यहां यह बता देना लाजिमी होगा कि यह वही जेल वार्डर जगमोहन है, जो बागपत जेल में मुन्ना बजरंगी की हत्या के समय भी मौजूद था। मुन्ना बजरंगी की हत्या के बाद ही जगमोहन का तबादला बागपत जेल से चित्रकूट जेल में हुआ था। अब यह महज इत्तेफाक है या कोई बड़ी साजिश, इसकी जांच में पुलिस और एजेंसियां जुटी हुई हैं। सूत्रों के मुताबिक छह मई को जगमोहन कोरोना पॉजिटिव हुआ था और उसको आइसोलेशन में रहने की हिदायत दी गई थी, इसके बावजूद 13 मई की शाम को चित्रकूट जेल में जगमोहन देखा गया था। 14 मई को शूटआउट के बाद जब हत्यारे अंशू दीक्षित को घेरा जा रहा था तो उस वक्त भी जगमोहन वहां पर मौजूद था।
बागपत जेल में भी सबसे बड़ा सवाल यही था कि सुनील राठी के पास पिस्टल कैसे पहुंची और अब चित्रकूट जेल शूटआउट में भी सबसे बड़ा सवाल यही है। इन दोनों सवालों और शूटआउट में एक ही चीज कॉमन है और वह है जेल वार्डर जगमोहन। लिहाजा एजेंसियों ने जगमोहन से पूछताछ शुरू कर दी है। सूत्र यह भी बता रहे हैं कि मेराज और मुकीम को गोली मारने के बाद अंशू ने पीसीओ में किसी से फोन पर बात भी की थी।
पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट के मुताबिक मेराज को एक गोली उसके सिर और दूसरी पीठ से दाखिल होकर पेट से निकल गई थी। वहीं जेल सूत्रों के मुताबिक गोली मारने से पहले हत्यारे अंशू ने मेराज को गालियां दी और भागने को कहा था। मेराज के भागने पर अंशू ने फायरिंग शुरू कर दी थी। दो गोलियां मेराज को लगी और वह मौके पर ही ढेर हो गया था।
बता दें कि चित्रकूट जिला जेल रगौली में शुक्रवार के दिन सुबह लगभग आधे घंटे तक ताबड़तोड़ गोलियों की आवाज से हड़कंप मच गया था। जेल में पूर्वांचल के शार्पशूटर अंशू दीक्षित ने पिस्टल से कुख्यात अपराधी मुकीम काला व मेराजुद्दीन उर्फ मेराज अली को गोलियों से भून डाला था।
इसके बाद कई अन्य बंदियों को बंधक बनाकर जेल से भागने की बात करता रहा लेकिन इसी बीच जिले की भारी पुलिस बल ने आकर पूरे परिसर को घेर लिया और अंदर हत्यारोपी अंशू को आत्मसमर्पण के लिए कहा था। हत्यारोपी ने पुलिस टीम पर भी फायरिंग झोंक दी। जिसमें कई जवान बाल-बाल बच गए थे। इसी बीच जवाबी फायरिंग में पुलिस ने अंशू को भी ढेर कर दिया था।
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