
मुरादाबाद। आज विश्व भर में महिला दिवस मनाया जा रहा है। इस मौके पर आइये जानते हैं मजहब-ए-इस्लाम में महिलाओं को क्या मर्तबा है।
यूपीयूकेलाइव से बातचीत में जमियत उलेमा-ए-हिन्द के मुरादाबाद जिला महासचिव व मस्जिद छीपियान के इमाम मौलाना अब्दुल खालिक ने बताया कि औरत का इस्लाम में बहुत बड़ा मर्तबा है। औरत अगर मां है तो उसके कदमों तले जन्नत होती है। एक शख्स नबी ए करीम सल. के पास आए और कहा- मैने अपनी मां को कंधों पर बैठाकर तवाफ करवाया और हज के अरकान अदा करवाए, क्या मैने मां का हक अदा कर दिया। नबी करीम सल. ने फरमाया। तुम्हारे पैदा होते वक्त दर्द की वजह से जो आह निकली, तुमने अभी उसका भी हक अदा नहीं किया।
औरत अगर बहन है तो उसे शफकत की नज़र से देखने पर नेकियां मिलेंगी। अगर बेटी है तो- नबी ए करीम सल. ने फरमाया जिसको दो बेटी हों और उसने इस्लाम के मुताबिक अच्छे नाम रखे, इस्लामी तालीम दी और नेक परवरिश करने के बाद नेक लड़का देखकर उनका निकाह कर दिया। तो जैसे एक अंगूली दूसरी अंगूली से मिली होती है वैसे वो मेरे साथ क्यामत के रोज खड़ा होगा।
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