राष्ट्रीय रामायण मेला धार्मिक और सांस्कृतिक कार्यक्रमों से हो उठा गुलजार!

विनोद मिश्रा

चित्रकूट। भगवान राम की तपोस्थली चित्रकूट में राष्ट्रीय रामायण मेले की धूम है। सायंकाल से शुरू होकर देर रात तक चलने वाले धार्मिक और सांस्कृतिक कार्यक्रम बरबस ही लोगों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित कर लेते हैं और कार्यक्रम का आनंद लेने के लिए दर्शकों की भारी भीड़ मेला प्रांगड़ में एकत्रित हो जाती है। विभिन्न राज्यों से आए लोक कलाकार अपनी लोक संस्कृतियों से रूबरू कराते हुए भारत की अखण्डता में एकता का सन्देश देते हैं। मेले में आए साधू संत धार्मिक प्रवचनों और सामाजिक संदेशों द्वारा लोगों को जीवन जीने की कला का ज्ञान दे रहे हैं। वृन्दावन से आए कलाकरों द्वारा भगवान श्री कृष्ण की मनोहारी लीलाएं प्रदर्शित करने पर दर्शक भावविभोर हो उठे।
 
दिया एकता का संदेश

जनपद में आयोजित 48 वें राष्ट्रीय रामायण मेले में सांस्कृतिक कार्यक्रमों  जहां लोगों का मन मोह रहें हैं, वहीं धार्मिक आयोजन  लोगो को भारत की आध्यात्मिक शक्ति से परिचित करा रहा है । विभिन्न राज्यों से आए कलाकार अपनी लोकसंस्कृतियों का परिचय देते हुए एकता का सन्देश दे रहें हैं। रासलीला की प्रस्तुति ने दर्शकों को भक्ति की चाशनी में सराबोर कर दिया। लोककलाओं की सतरंगी छटा ने भारत के विभिन्न रंगों का दर्शन उपस्थित दर्शकों श्रोताओं को करवाते हुए यह एहसास दिलवाया कि आज भी हम अपनी जड़ों से दूर नहीं हुए ,हलांकि उनके संवर्धन और विकास के लिए काफी कुछ करने की आवश्यकता है।

भरतनाट्यम सहित अन्य कलाओं की होगी प्रस्तुति

मेले में भरतनाट्यम सहित देश की अन्य लोककलाओं का प्रस्तुतिकरण भी मंझे हुए कलाकारों द्वारा किया जाएगा। दिन भर भजन प्रवचन कीर्तन के कार्यक्रम के बाद सांयकाल से सांस्कृतिक कार्यक्रमों की शुरुआत होती है जो देर रात तक जारी रहती है। पांच दिनों तक चलने वाले रामायण मेले में कला और अध्यात्म का अनूठा संगम देखने मिलता है।

लगाई गई है कृषि एवंअन्य प्रदर्शनी मेला

मेले में किसानों को जागरूक करने के उद्देश्य से कृषि प्रदर्शनी का भी आयोजन किया गया है। जैविक विधि से किसानों को खेती करने की विभिन्न विधियां प्रदर्शनी के माध्यम से बताई जा रही हैं। इसके अलावा अन्य धर्मिक, सांस्कृतिक प्रदर्शनी और कपड़ों फर्नीचर आदि के स्टाल आकर्षण का केंद्र है।मेले के समापन अवसर 15 फरवरी को होगा।

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