
विनोद मिश्रा
बांदा। मंडल के चित्रकूट का राष्ट्रीय रामायण मेला जिसे मुख्य मंत्री योगी आदित्यनाथ नें प्रांतीय मेला का स्वरूप दिया। इस बार 11मार्च से शुरू हो रहें 48 वें आयोजन में जिला प्रशासन की अनदेखी से वित्तीय संकट में आ गया है। योगी सरकार ने इसे प्रांतीय मेला पिछले साल घोषित किया तो चालिस लाख रुपया की ग्रांट जिला प्रशासन के पास आई।
इस बार प्रशासानिक लापरवाही का आलम यह कि यह धनराशि जिला प्रशासन नें जिन विभागों को खर्च के लिये दी, उन्होनें उपभोग प्रमाण पत्र ही जिला प्रशासन को नहीं दिया। पुरानी राशि भी डंप है। इस बार पर्यटन विभाग से दस लाख रुपया आया तो वह भी ट्रेजरी में ही अब तक पड़ा है। रामायण मेला के खाते मेंअब तक स्थानांतरित नहीं किया गया।
इस प्रकार मेला आर्थिक संकट में आ गया है। इधर मेला की तैयारियां जोरों पर है पूरे देश विदेश में विद्वानो-कलाकारों के आगमन के लिये आमंत्रण पत्र भेजे जा चुके हैं। उनके ठहराव आदि की व्यवस्था की जा रही है। शासन से धनराशि आवंटन में अति शीघ्रता होनी चाहिए। क्योकि मेले के आयोजन में एक सप्ताह से भी कम समय बचा है।
रामायण मेला के कार्यकारीअध्यक्ष राजेश करवरिया बताते है कि वैसे भी मेला प्रबंध समित अपने स्वयं की व्यवस्था से प्रति वर्ष बारह-पंद्रह लाख खर्च करती है! फिर शासन नें सरकारी तौर पर इसे प्रांतीय कृत घोषित किया तो धन आवंटन में अति विलंब कैसे, क्यों और किस स्तर पर हुआ, यह गंभीर जांच एवं दण्डनात्म्क कार्यवाई का विषय है।
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