
चाणक्य चन्द्रगुप्त मौर्य के महामंत्री थे। वे 'कौटिल्य' नाम से भी विख्यात हैं। वे तक्षशिला विश्वविद्यालय के आचार्य थे। उन्होने नंदवंश का नाश करके चन्द्रगुप्त मौर्य को राजा बनाया। उनके द्वारा रचित अर्थशास्त्र राजनीति, अर्थनीति, कृषि, समाजनीति आदि का महान ग्रंन्थ है। अर्थशास्त्र मौर्यकालीन भारतीय समाज का दर्पण माना जाता है।
चाणक्य अपनी चाणक्य नीति में कहते हैं कि जीवन में कई बार ऐसी परिस्थितियां आती हैं, जब व्यक्ति को ऐसे स्थान पर रहना पड़ता है जो उसे पसंद नहीं होता. ऐसे स्थान पर रहना उसके लिए बोझ के समान होता है और उसे हर समय घुटन बनी रहती है. नकारात्मक विचार आते हैं. इन स्थानों से निकल जाने के बावजूद वो वहां के अनुभव कभी भुला नहीं पाता.
- जिस व्यक्ति की पत्नी का स्वभाव बेहद झगड़ालू हो, उसके लिए ये जीवन नर्क के समान होता है. ऐसी स्त्रियां छोटी-छोटी बातों पर बड़ा विवाद करने लगती हैं. उनकी वजह से पूरा परिवार परेशान रहता है.
- पुत्र को पिता की बुढ़ापे की लाठी कहा जाता है, लेकिन अगर पुत्र मूर्ख हो तो वो जीवन भर माता-पिता पर बोझ के समान बन जाता है. ऐसे पुत्र जिनकी बुढ़ापे में भी माता पिता को चिंता करनी पड़े, उसका जीवन में होना अभिशाप की तरह है.
- जब कोई पिता अपनी बेटी का विवाह करता है तो अत्यंत सुख का अनुभव करता है, लेकिन अगर वही बेटी विधवा हो जाए तो माता-पिता का जीवन नर्क बन जाता है. ये दुख माता-पिता को तोड़कर रख देता है और वे चाहकर भी इस दुख से निकल नहीं पाते.
- सेवा हमेशा ऐसे लोगों की करनी चाहिए जो जरूरतमंद हों. अगर आप किसी ऐसे परिवार की सेवा करते हैं जिसे समाज में नीच यानी दुष्ट या कपटी माना जाता है, तो ये सेवा आपके लिए जीवनभर किसी दुख से कम साबित नहीं होगी. ऐसे लोग वक्त आने पर अपना असली रंग दिखा ही देते हैं.
- यदि आपको हर वक्त ऐसा भोजन करना पड़े जिसमें न स्वाद हो और न ही पौष्टिकता, तो ये भी एक प्रकार का दुख ही है. ऐसा व्यक्ति चिड़चिड़ा और गुस्सैल स्वभाव का बन जाता है.
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