
बांदा डीवीएनए। सर्व शिक्षा अभियान में गजब की उदासीनता उजागर हुई है। इसके चलते प्राथमिक विद्यालयों का कायाकल्प नहीं हो सका। सरकार द्वारा आवंटित लगभग चालिस लाख रुपया सरेंडर करना पड़ा। यानी लक्ष्मी श्पैवेलियनश् लौट गई! इसके लिये शिक्षा विभाग को धिक्कारा ही जाना चाहिए! क्योकि लापरवाही, उदासीनता और नकारा पन के चलते शिक्षा का कायाकल्प करनें के लिये ष्हाथ आई लक्ष्मी चली गईष्!
सर्व शिक्षा अभियान के तहत मंडल मुख्यालय के 18 परिषदीय स्कूलों में अतिरिक्त कक्ष निर्माण के लिए शासन से मिले 84.60 लाख रुपये में 32.90 लाख रुपये सरेंडर करने पड़ गए। नाकारापन यह रहा कि खंड शिक्षा अधिकारी सात स्कूलों में जगह ही नहीं ढूंढ पाए। जगह के अभाव और भवनों के जीर्णशीर्ण दशा में होने का कारण दर्शाने पर अब महज 11 स्कूलों में भी अतिरिक्त कक्षों का निर्माण कराया जा रहा है।
कोरोना संक्रमण काल में 10 माह बाद खुले स्कूलों में छात्र संख्या आधार पर अतिरिक्त कक्षों का निर्माण कराया जा रहा है। जिले में पांच ब्लॉकों बबेरू में एक, बड़ोखर में 3, बिसंडा में 2, महुवा में 2 व तिंदवारी ब्लॉक के 3 स्कूलों में अतिरिक्त कक्ष बन रहे हैं। यहां ग्रामीण अभियंत्रण विभाग के अधिकारी और निर्माण प्रभारी प्रधानाध्यापक अपनी निगरानी में कक्षों का निर्माण करा रहे हैं। एक कक्ष की लागत 4.70 लाख रुपये है। जिन सात स्कूलों में अतिरिक्त कक्ष नहीं बन पाए वह जौरही और महोखर गांव के स्कूल हैं।
इन स्कूलों के भवन जीर्णशीर्ण होने और जगह न होने से इनका पैसा वापस करना पड़ गया। यह सभी कक्ष भूकंपरोधी बनाए जा रहे हैं। एक कक्ष में 30 बच्चे और एक अध्यापक बैठेंगे। बीएसए हरिश्चंद्र नाथ योजना को कामयाब बनाने में ष्हरिश्चंद्रष् साबित नहीं हो पाये। बेचारे कहतें है कि अतिरिक्त कक्ष निर्माण के लिए जिले के खंड शिक्षा अधिकारियों से रिपोर्ट मांगी गई थी। जिनमें कुछ ने जगह का अभाव और भवनों के जीर्णशीर्ण होने की रिपोर्ट दी थी। इससे सात विद्यालयों का अतिरिक्त कक्ष का पैसा सरेंडर किया गया है।
अब हालत की समीक्षा यही कहती है कि ष्लक्ष्मी रूपी कारवां गुजर गया और विभाग गुबार देख रहा है।
संवाद विनोद मिश्रा
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