
नई दिल्ली। Parle – G नाम सुनते ही बचपन की वो यादें ताजा हो जाती है जब हम चाय या दूध में बिस्किट डाल कर खाते थें। पारले-जी को चाय का साथी कहा जाता था क्योंकि जहां चाय है वहां पारले-जी जरुर होगा। कई लोग ये चाय और बिस्किट खा कर ही बड़े हुए हैं। यहां तक की आज भी कई जगहों पर कई लोग चाय के साथ पारले-जी ही पसंद करते हैं। कहा जाए तो भारतीयों की सबसे फेवरेट बिस्किट है पारले-जी। अब जानते हैं कहां से हुई थी इसकी शुरुआत।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार साल 1929 में मोहनलाल दयाल कन्फेक्शनरी बनाने की एक छोटी सी दुकान खोली थी। उस समय भारत में स्वदेशी आंदोलन चल रहा था। जिसमें अपना योगदान देने के लिए वो कन्फेक्शनरी बनाने के कला को सिखने के लिए जर्मनी चले गए थें।
जहां उन्होनें बहुत सी चीजें सीखीं और मशीने भी लेकर आए जिससे वो भारत में कन्फेक्शनरी का सामान बना कर बेच सकें। जर्मनी से आने के बाद उन्होनें एक छोटी सी फैक्ट्री बनाई जिसमें शुरुआत में सिर्फ 12 लोग ही थें। ये सारे लोग एक ही परिवार के थे और अलग-अलग काम किया करते थें। कहा जाता है कि ये लोग काम करने में इतना खो गए थें कि वो फैक्ट्री का नाम रखना ही भूल गए थे।
धीरे-धीरे जब ये कंपनी फेमस होती गई तो इसका नाम इसी की जगह पर पारले रखा गया था। इस कंपनी में सबसे पहले ऑरेंज कैंडी बनाई गई थी जिसे धीरे-धीरे दूसरी कंपनियों ने भी बनाना शुरु कर दिया था। दूसरे विश्वयुद्ध के समय बिस्किट बनना शुरु हुआ था।
उस समय बिस्किट को अमीर लोगों के लिए खास माना जाता था। पहले लोग विदेशी कंपनी के बिस्किट खाते थें। पारले ने अपना सस्ता और स्वादिष्ट बिस्किट parle gluco लान्च किया। ये बिस्किट आम लोगों के लिए उनके बजट के हिसाब से बनाया गया था। धीरे-धीरे ये बिस्किट लोगों की पसंद बन गई, सबसे ज्यादा इस बिस्किट की मांग दूसरे विश्व युद्ध के दौरान बड़ा थी, क्योंकि इसमें ग्लूकोज के गुण थे।
लेकिन साल 1947 में गेहूं की कमी के कारण इस बिस्किट का उत्पादम रोकना पड़ा था। साल 1960 में पारले कंपनी को ये एहसास हुआ कि दूसरी कंपनियों ने भी पारले की देखा-देखी करके ग्लूकोज बिस्किट मार्केट में उतारना शुरु कर दिया।
एक जैसे नाम के कारण लोग अक्सर ब्रांड में कंफ्यूज हो जाते थें, और दुकानदार से ग्लूकोज बिस्किट मांगते थें। इसकी वजह से कंपनी ने अपने पैकेट को और लोगो को बदल दिया जिससे लोगों को पारले ब्रांड की पहचान हो पाए। आज इस कंपनी के करोड़ो में पैकेजिंग की जाती है। देश ही नहीं विदेशों में भी इस कंपनी की अपनी पहचान हैं।
0 Comments